चन्द्र - कला | Chandra Kala

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Chandra Kala  by चन्द्रगुप्त विद्यालंकार - Chandragupt Vidyalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चन्द्रकछा १० आई हैं।” रिचर्डकी कव्पित कहानी सुनकर ब्रेकका खून उबल पड़ा॥ बह भी उन हबशियोंसे मोरचा लेनेंके लिये व्याकुल हो उठा, परन्तु घायल रिचिर्डने ही उसे इस तरह आक्रमण करनेसे रोका | वह बृढ़ेकी हिम्मत ओर अधिक नहीं परखना चाहता था । ब्रेक और रिचर्ड दोनों बाहर चले आये | (४) रिचर्डका इजहार समाप्त हो जानेके अनन्तर न्यायाधीशने उस वृद्ध भारतीय अभियुक्तका बयान लेना शुरू: किया। न्यायाधीशने पूछा--- # तुम्हारा नाम कया है ? ” बुद्धने उत्तर दिया---“ वीरसिंह । ” न्यायाधीराने पिताका नाम, जाति, आयु आदिके सम्बन्धे अनेकं तरहसे प्रश्न विये, परन्तु अभियुक्तने इस सम्बन्धमे कुछ भी बतानेसे स्पष्ट इंकार कर दिया । | न्यायाधीश महोदय इसपर भी दृद्धसे नाराज नहीं इए । वृद्ध भारतीय इतना अधिक बूढ़ा था कि उसके शरीरका एक-एक रोम चेत पड़ चुका था। उसे देखकर न्यायाधीशने यही समझा कि यह व्यक्ति अलयधिके. बुढ़ापेके कारण अपने पिताका नाम, आयु आदि सभी कुछ भूल गया है। मजिस्ट्रेटने अपने छार्कसे कहा--““ लिख छो---आयु लगभग ६० बरस, जाति हिन्दू , पिताका नाम स्मरण नहीं ।” द्ध महोदयने इसपर कोई एतराज नहीं किया । न्यायाघीशने फिर पूछा---““ आपके वे तीनों नौकर यहाँ उपस्थित क्यों नहीं हुए 7” बूंढ़े हिन्दूस्तानीने मुस्कराकर पूछा---““ कौनसे नौकर ?”




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