हिंदी ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड संगीत भाग १ | Hindi Garmofon Rakhad Sanghit Bhag 1

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Hindi Garmofon Rakhad Sanghit Bhag 1 by एस. पी. जैनी - S. P. Jaini

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दिन्दी ग्रामो फ़ोन रिकर्ड संगीत श्शु 1, 242. ग़जुरू दादा «. पी० २४२ यहरानि यानि 'याप फे सद पार यन गये 1 समकाने चाल मुफ़्त गुनहदगार यन गये ॥ हमने दिया था दिल उन्हें दिनिदार लान फर चद्द से मरे दिल को दिये झाज्ार पन गये हुब्ये हृद्र से जो शायद है सोना सर 1 हुरे ददफ़ दिल का नगीना यार यन गये । उस गुन धर रात को नहीं है मोंद दिस्तर के तार हफ में मर पार बदन गये इससे तरफ: राजुल चुच्वालो लि क्षपा सना तरी शाही दिया इक मे तुमको सलाम है 1 रद दश्ता नुम्द दे दुसह है तेरी जान झाली सुडाम है ॥ तरी भर्ग घाती सुराम है शाहिदों दीं तरा नाम ह। « तुमे हद ने मना पपाम है कि तू दो जहां का ईनान है 2 सगा दिस में दिल बा नगतर रिया ने सुने जिगर 1 लिप कया सना तरी शारदों किया हड़ने को सनास है ॥ कि कि कै नि ट्चा शी का 1” 335; पट पान 5३5 गरर हो नहीं उस जालिम को मेरी सरर हो नहीं रो से फे घरनी झारगें से दन्पा प्शा दिया सच है फे दिसकी डिसो वो सयर हो नहों-इस न ०» का मु वह दिव नहीं बह यान नहीं बंद नूर नडी--उस सालिस * > -




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