मौर्यसाम्राज्य के जैनवीर | Mauryasamrajya Ke Jainveer

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Book Image : मौर्यसाम्राज्य के जैनवीर  - Mauryasamrajya Ke Jainveer

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) भाई गोयलीय की परिस्थिती से में अवगत रहा हूँ। दिन थे वह, ऐसे सद्‌उद्योग में तनिक सी सहानुभूति के लिये भूखे र्खे गये । | सहयोग दूर, सराहना और सत्‌ कामना भी उन्दः मंहगी दोगई । जो जैन इस पुस्तक से अपरमित लाभ उठा सकेंगे, वे ही जैन, काम के वक्त पर, उनके सम्बन्ध में गूगे हो गये। ऐसे दिन अब भी उनके ऊपर से पीते नहीं हैं; और जैनियों की नींद भी अभी हूटी नहीं है। पर वह जानते हैं, ओर में अपनी ओर से कुछ उन्हें अधिक नहीं वतला सकता, कि यह होने का पहला मोका नहीं है--ऐसा होता दी आया है । ऐसी परिस्थितियों में श्री० रेडजी ने भूमिका में अपने क्रीमती शब्द देकर उनको अपनाया है, बहुत सुन्दर किया है। में उनकी सहृदयता का आभारी हो सकता हूँ। विश्वास है ,जैन, और जैनेतर इसे अपनायेंगे और हमारा आदर करेंगे । पदादी-धीरन, | ३० नवम्बर ३२ নাহ




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