लघुत्रयी - मन्थन | Laghutrayi - Manthan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द॒ प भूरामल शास्त्री (आदार्य ज्ञानसाग्रजी) वि काव्य लघु-ऋऋयी
(सुदर्शनोढदय दयोदय, ऋमुद्रद्न चरित्र) पर आयोजित आ भा विद्वद्लपोघ्ठी
मे झम्मिलिठ हो बिद्वालो के बिविध-विषयाश्रित स्वमुस्योदृगीर्ण विचार झुनने
फा स्वर्णिम अवसर एाप्त हुआ। उस सणोष्ठी के सप्रेशक आचार्य पू सुधासागरजी
की अमृत्वाणी ने स्वर्णिम अवबक्र को झकीर भाव्यिद ऊर मनो-वैद्याक्रिफ क्रकीर्णता
को झर्ब-फकाल के लिट सुदूर किया । आशत का अवश्य अहोशग्य सिद्ध
होगा यदि सभी कझलता तथा फथित सकीर्ण पानिक उन्माद से भारतीय जीवन
को प्रथ अष्ट न टोने दे । पारस्परिफ छदूभदनः पर्म्पराओ मे सुदीर्घन्येवी
रद । इसके लिए न केवल भरुक के अण्तु सम्पूरणं विश्य के मन्य फ
अच्ार्य ज्ञानसागरजी क द्वारा निर्देशित फल्य-एथ का अनुसरण करनए होग्य।
मुकुन्दशरण उपाध्याय
তু জে কজন
सनानन धर्म प्र रू विद्यालय
ब्यावर (राज)
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