भीष्म | Bhishm

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Bhishm by पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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: हश्य । ] पडदा अंक । ५ 0 ज क न णी मी मीर ४ सखी---अच्छा हमने माफ किया । अब घर चली । सत्यव ०--तुम मुझे प्यार करती हो १ सखी--( दँसकर ) प्यार करती हैं कोन कहता दै ए २ सखी--प्यार करती हैं ? बिलकुल नहीं---जरा भी नहीं । ३ सखी- तुमको हम सव दुदमनकी नजरसे देखती द । ४9 सखी---हम प्यार करती हैं या नहीं, यह पूछ रही हो £ सत्यत्र्ती---मैं सच कहती हूँ, अगर प्यार करती हो, तो अब इस पापिनी ्धीवर-कन्यासे घृणा-- धृणा करो | १ सखी---यह तुम क्या कह रहीहो 2 सत्यव ०-- तुम क्या जानती हो किम कोन हूँ? ३ सखी-- जानती है सत्यवती हो | सत्य ०---और कुछ जानती हो ९ ३ सखी--तुम घीवरराजकी कन्या हो ओर तुम्हारी जवानी सदा बनी रहेगी । सत्य ०७---और कुछ जानती हो ? ४ सखी--बस, और तो कुछ नहीं जानतीं | सत्य ०---तो फिर तुम कुछ नहीं जानतीं, और न कभी जानोगी |---जा ओ प्यारी सखियो, सब घर चली जाओ, में नहीं जाऊँगी १ सखी---क्‍्यों ! सत्य ०---यह नहीं बताऊँगी | २ सखी--क्यों £ सत्य9---इस “क्यों? का ठीक उत्तर कभी नहीं पाओगी । जाओ घर छौट जाओ। में नहीं जाऊँगी | मेरे घर द्वार कुछ नहीं है ।




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