बौध्द संस्कृति का इतिहास | History Of Budisth Culture

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History Of Budisth Culture by भागचन्द्र जैन भास्कर - Bhagchandra Jain Bhaskar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७) भाद्‌ महावीर के भोभा धौ ऊरी अनुपाधि में से दें ।४ उहरोष्पथन का केशी औौतय संबाद तो अंधिड ही है ।'* सथदामु पाश्वनाथ भौर महाबीर के बीच लगभग २५०वर्घ का झन्तर था । इस बोच जम संव में प्राभार शैषिल्य घर कर पसा । भगवान महावीर मे इसके मुल कारए पे गन्मीरता पूर्वक विवार किवः प्रौर साया करि समवा प्रम्यंनाथ के बहिर ঈ भ्तर्मत परिप्रह और छोसेवद इस दोनों का ल्द कद ছিরা है। महावीर ते उन दोनों को पृथकंकर ब्रतों में-भौर भी स्पहता ला दी । इंग प्रकार महावीर के দূর पञ्चय हो यव 1 भ, पार्व॑ताथ के चातुर्धाम भौर भ, शहावोरके पंश्रप्राम से लिपिक भी अपरिचित नहीं रहा । भ, बुद्ध के प्रश्तों के उधर में असिवन्धफपुत्तगामरि से कहा कि निगरंठनातपुत चार प्रकार के पापी बी तिन्‍्दा करते বায प्रतिपातेति (प्राशिषध), भदिन्‍्न জাবিার (বান), কাস मिच्छाचरति (मैडम) भौर धसा भराति (भृषावाद)*' । यहां ये चार प्रकार भूत से मदावीरके कह ভি गये है। वस्तुतः हैं ये पश्वंताथ के | महावीर के भ्रनुसार पापाणव के पॉच कारण ये है।'* १, पाणातिपाति होवि। २, भादिन्नादाबी होति, ३, भज्रह्षत्ारी होति, ४. मुसाबादी होति, भौर ५, सु रामेरबमस्जप्पमादद्वायी होति। यहाँ गणना के भनार पाच कारण ठोक हैं, परम्तु क्रमहीनता के श्रति- रिक्त परिय्रह का ध्यष्ट उल्लेख मही हो सका । परिकह के स्थान पर सुटमिरप- मज्ज प्मादट्ठान को स्प/न दे दिया गया। इस उल्लेज् से इतना तो पहन हूँ हो कि बुद्ध वातुर्पान झौर पश्चमाम इत दोतो प्रकार के धर्मों से परिलित थे | संभव है यह सब महावीर द्वारा किये गये परिवर्तन के प्रासपांस ते सम्बद्ध हो दयौर भ्रधिक परिचय न होने के कारशा यह भूल हुई हो । अथवा महू भी संभव है. कि चूँकि जेन मद्च मांसादिक सेवन का अत्यन्त विरोषं करते हैं इसलिए वही बात संगापने करते समथ स्पृति-पथ मे जमी रहौ हो \ २५, महावीरस्स प्रम्मा पिमरी पासावश्ित्रा, श्राया, २, १६-१४ २९, उत्तरा, २२वें भ्ध्ययन, ३०, समंवायांग, ६२ हर, संयुष्त, भाग ४ पृ. ३१७-४ ३९, झंगुक्वर, भाग ३, पृ. २७६०-०७




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