Roothi Rani by मनोहर सिंह राठौड़ - Manohar Singh Rathaud

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दूसस द्रश्य एक तालाव खोदा जा रहा है । कुछ मजदूर काम कर रहे हैं । उनकी पारिश्रमिक के रूप में कोड़े मिल रहे हैं । जो भी इस रास्ते होकर जाता है उसे दो टोकरी मिट्टी खोद कर वाहर लाकर डालनी होती है - यही राजा की आज्ञा है । सिपाही इस आज्ञा का पालन क्रूरता से करवा रहे हैं । मंच पर सिपाही सुस्ताते दिखायी देते हैं । तालाव पीछे को बन रहा है । दोपहर वाद का समय । पर्दा खुलता है । खड्ग सिह का प्रवेश । सिपाही हड़बड़ा जाते हैं ॥ सिपाही - एक साथ खम्मा सरकार खम्मा खदग सिंह - यह ठीक है । तुम लोग सो रहे थे । इस वीच इस रास्ते से कुछ राहगीर निकल जायें तो इतनी टोकरी मिट्टी विना डले रह जायेगी । वो कौन डालेगा ....... बताओ ....... वताओ ? शेर सिंह - नहीं सरकार नहीं । इस रास्ते हम से पूछे विना पंछी भी पर नहीं मार सकता आदमी की क्या विसात ? हम सोने का बहाना कर के आने- जाने वालों की निगरानी करते हैं । खडग सिंह - शाबास यह अच्छा तरीका है । यह बताओ तालाव का काम कैसा चल रहा है ? शेर सिंह - चलेगा सरकार खूब अच्छा चलेगा | इस रास्ते से जाने वाले अपने आप तीन-तीन टोकरी मिट्टी डाल देते है । जो कोई आनाकानी करे उसकी ऐंठ निकालने को उससे चार टोकरी डलयाते हैं । खडूग सिंह - वाह मेरे जवानों वाह यह प्रजा होती ही पीसने के लिये 1 इसमें बड़ा मजा आता है सीधे मुंह चात करने से ये सभी सिर पर चढ़ते 1 इनको ठीक करने का एक ही तरीका 5




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