घहराती घटाएँ | Gaharatee Ghatayan

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महाश्वेता देवी - Mahashveta Devi

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राधाकृष्ण - Radhakrishn

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जगमोहन कौ प्मव्यु कहानी का नाम 'जगमोहन की मृत्यु होने पर भी .जगमोहन, त, सोम गुजू ( और बुलाकी---सीनों ही मृत्यु के असंभव अथवा सदव सेभव परिणामों पर, पहुँचे थे । घटना संतहृत्तर के अक्टूबर में हुई। कहानी का एक अलौकिक छोर भी है। वह इस समय बुरुडिहा गाँव के हनुमान मिश्र के कब्जे में है । यधार्थत: उस अक्टूबर के देवी-पक्ष मे बुरुडिहा के समीप जो अविश्वसनीय चटनाएँ हुईं, उनसे उस अंचल में हनुमान मिश्र की श्रेप्ठता और ईश्वर की इच्छा को स्थायी प्रतिष्ठा मिल गयी । भारत और भारतवासियों के मन से 'छुआछूत मिटाने और छोटी जाति पर होने वाले अत्याचारीं को क़ानून द्वारा बन्द करवाने को जो कमर कसे है, उन्हे शिक्षा देने के लिए ही यह घटना हुई थी--ऐसा मिश्र के समर्थक कहते हैं । उसी अ्रक रण १₹ 'जगमोहन क्री अमर कहानी! पुस्तिका पटना में छपी ओर गोमो-डाल्टतगंज लाइन के स्टेशनों पर कह्दी-कही बिकी भी । 'जगमोहन' मन्दिरों में स्वभावत: सबसे अधिक बिकी । यह लाइन किताबीं की बिक्री की लाइन नही है। इधर के गाँव प्रागतिहासिक है। यहाँ के निवासी भारत सरकार के सरददे के प्रमुख कारण है । उराँव, मुडा, हो इत्यादि की कोई लिखित भाषा या लिपि नही है। वे दिन के अम्त भे चीनाघास के दानों की तलाश में हज़ारों बरस से फिरते आये हैं। जगमोहन की किताब वे भूखे-नगे नही पढेंगे । इसलिए किताब भुरकुंडा, खलाड़ी, पत्रातू इत्यादि नये बने घनी ओद्योगिक « में विकती | बह सारे आदिवासी भारत सरकार को अनजाने हुं। त* है




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