सोहन काव्य कथा मंजरी भाग 7 | Sohan Kvya Katha Manjari Bhag 7
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
116
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ध्राई् दासी बात सुराई सुण ठकराणी जाणी रे।
ठीक समय पर श्राया द्वार नहीं रोटी पाणी रे।। संग ॥। ११ 1।
खोटी होसौी कामन बणसी भटके ही कहला द् रे।
ेये ठंग से करू इशारो भट समभा दू रे ॥ संग 11 १२ ॥।
दासी को समभकाकर कहती ऐसे जाकर कहिजे रे ।
निरालबाई निछरावल लेवे यों कह दीजे रे ॥| संग ॥ १३ ॥।
भूख सिंह जी से कह दीजे निराल बाई कहलावे रे ।
सुण दासी की बात ठाकुर मन को समभावे रे ।। संग ।। १४।।
यहां तो आगे ही भूखा है क्या मुभ भूख भिटावे रे ।
हुआ रवाना सोचो लाया वेसा पावे रे।। संग ।। १५॥
सुनकर कथा हिया में धरज्यो सोहन मुनि चेतावे रे ।
पुण्य पाप को देख तमासो पुण्य कमावे रे ।। संग 11 १६ 1!
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