हिन्दी के निर्माता भाग - 2 | Hindi Ke Nirmata Bhag - 2
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१) महामहोपाध्याय रायबहादुर जगन्नाथप्रसाद भाजु'
आपका जन्म श्रावण शुक १० सं०१९१६ ८८ अगस्त सन्
१८५९ ) के नागपुर में हुआ। आपके पिता बर्शीरामजी
सरकारी फौज में नोकर थे। वे बड़े काव्यानुरागी थे। उनका
बनाया हुआ हनुमन्नाटक काव्यप्र'थ बड़ा लोकप्रिय है। भानुजी का
बहुत थोड़े दिनों तक रकूली शिक्षा मिली थी, किंतु आपने सतत
स्वाष्याय द्वारा अपना ज्ञानभांडार बहुत बढ़ा लिया। शनेः शनेः
आप संस्कृत, हिंदी, अंगरेजी, उदू, उड़िया तथा मराठी आदि
भाषाओं के पंडित हो गए। €दू में भी आपने काव्यग्र'थ
लिखे हैं ।
आप पहले-पहल १५) रु० मासिक पर शिक्षा-विभाग में
नौकर हुए थे, किन्तु अपनी योग्यता के कारण उत्तरोत्तर वृद्धि करते-
करते बिलासपुर जिले में ६५०) रु० मासिक पर सेटेलमेंट आफिसर
न
हा गए ।
आपने पिगलशास्र का विशेष अध्ययन किया है। दवः.
प्रभाकर आपका एक महत्त्वपूर्ण प्रथ है। अन्य लक्षण-प्रथों की
भाँति इस ग्रथ के उदाहरण नायक-नायिका-विषयक नहीं हैं, वरन्
राम-ऋष्ण- गुण-गान-पूर्ण और सरल हैं। सन् १९१४ में आपके
साहित्याचा ये की उपाधि मिली और सन् १९३८ में हिंदी-साहित्य-
सम्मेलन ने शिमला की बैठक में आपके साहित्यवाचरपति की
उपाधि प्रदान को । श्राप गणित विषय के भी पंडित हैं। कानपुर
के हिंदी-साहित्य- मंडल ने सन् १९२५ में आपके जो अभिनंदन-
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