प्रौढ़ शिक्षा की योजना | Praudh Shiksha Ki Yojna

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Book Image : प्रौढ़ शिक्षा की योजना  - Praudh Shiksha Ki Yojna

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( & ) लिए अदालतें कायम की गई हैं। गाँव की जो पाठ्यालाएँ पंचायत आर चष्ट से चलतो थी. यव डिस्टिक्ट-बोडे तथा शिकत्ता-विभाग के द्वारा चल्माई जाती हैं जिनके अध्यापकों की आाचारशोलता आर काय-पणाली पर गमाँववालों का कोइ धिकार नहों है। भाँव आर आस-शरस के जा ऋगड़े प्रभाव- शाली लोगे की पंचायत के द्वारा तय हाते थे आर जहाँ बादी- प्रतिवादी अवन दलीलें खुले दिल के उनके सामने उपस्थित करते थे, उस जगह पर, अब, अदालत में आदालें-दर-अ ले. दायर की जाती हैं। वे अपना वयान स्वतः नहीं कर सकते, इसलिए बयान सिख्ाने-सढ़ाने व सबूत दिलाने के ज्िग वकील, मुख्यारों की जरूरत पडती ह । सारण यह्‌ कि प्राचान काल मं जनता क सम्बन्धं सोधे आर स्पष्ट थ। वे सम्बन्ध साधारण किसान को समस्त में भी आते थे। झय उनके कानून-कायदे वायसराय तथा भारत- मंत्री की राय से घनकर आते हैं। ज्याय-अदालत, तहसोल-चसूल शित्ता-विभाग के विधान आर कार्य उनके लिए अव्यक्त हैं अव्यक्त सम्पन्ध साधारण किसान भलों प्रकार नहों समस्त सकता । इसलिय उस आर्थिक हानि उठानी पड़ती है । एसो हा अध्यक्त बात कारखानों को व्यवस्था मे हं। प्राचान काल में एक व्यक्ति दूसरे के यहाँ मझदूरों करता था। वह साधे मालिक से पैसे पा जाता था। इसलिरश एसा सम्बन्ध उसकी समम में जडदो आता था| मालिकों के জান में कुछ मनुप्यता भी रहतों थी । लेकिन आजकटठा के कल्न-कारजानों में काम करनेवाले मठदरां के नालिक आर कम्एनियाँ उनके लिए अव्यक्त हो गयों हं। काम करने का रां अधिकतर क्लानून- कायदे पर चलने लभा हं) जत दक किसान आर मसजदर काफ़ों पढ़-लिख नहं जाते, तव वक उनका ज्ञात बराबर होती ही रहेगी । आज तो उनके लन-देन में भो बहुत पारे




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