भारतीय अर्थशास्त्र | Bhartiya Aarthsshastra

Bhartiya Aarthsshastra by अमरनाथ बाली - Amarnath Baliमोहनलाल - Mohanlal

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मोहनलाल - Mohanlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-प्रवेश । [दिली भोतिक पदार्थ (४४०7 ४व1 ४119) को बनाने के लिये चार चीज़ों की आवश्यकता होती है जिन को पेदावार के साधन कहते हैं । उदाहरण के लिये एक मकान वनाने.को ' ज्ञीजिये।सब से पहिले मिट्टी, चूना, सुरखी, लकड़ी ओर कुछ लोहे की 'झ्रायश्यकता होती है । इन वस्तुओं के विद्या मकाम धनाने का विचार: करना दी व्यथं है । परन्तु ये वस्तुएं प्रकति की ओर से मनुष्य को मुफ्त मिली है, ओर जस रूपम प्रकृत ने उनका हम दिया हैं उस रूप में मकान के वनाने में वे अधिक उपयोगी भी नहीं हैं ।मेद्टी को जब तक खोद कर, लादकर, जिस स्थान पर मकान वनाना हो वहां न लाया जवि, वद हमारे किसी काम की नहीं। फिर आवश्यकता हे कि लकड़ी की कांटछांट की जाय ओर आवश्यकतानुसार द्रवाजं खिड़कियों ओर शहतारों के रूप में उसे लाया जावे। अब इन सादे कामों के लिये मलुष्य के परिश्रम की आवश्यकता है। इस लिये जहां प्रकृति की ओर से प्राप्त हुई २ चस्तुओं को धन पैदा करने का पहिला साधन कहेंगे, वहां क्रम को दूसरा।कई वार अगरेज़ लेखक पहिले. साधन को जमीन कहते हैं। परन्तु ज़मीन से अभिप्राय उन सब चीजों से है जो कच्ची अ्रवस्था में मनुष्य को मुफृत मिलती हैं और जिन का प्रयोग वह करता है, जेसे नदी, समुद्र, जमीन, जु॑गल, भि, अग्नि, वायु, पानी, धातु इत्यादि । अब यदि केवल मजूदूरी ओर कच्चा माल, मिट्टी इत्यादि ही, हमे मिले तव भी सकान बनाना कठिन हे । मिट्टी की कटः बनाने के लिये सांचो की आवश्यकता है। लोहे से आरा ओर दूसरे हथियारों को बनाने की ज़रूरत हे। चृक्षो की छालों से रस्ख्े पिले वनने चाहिये । जव ये चीज्ञ हा तव इन की सहायता ; ङे




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