पउम चरिउ भाग - 5 | Paum Chariu Bhag - 5

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Paum Chariu Bhag - 5 by एच॰ सी॰ भायाणी - H. C. Bhayani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ पडमचरिड व्यासीयीं सन्धि १०६-१७८ लवण भौर अंकुशका यौवनमें प्रवेश, राजा पृथुसे उनकी कन्याओं की मेंगनी, उसके हारा विरोध, लूवण और अंकुशको- उसपर घढ़ाई, सीतादेवीका आशीर्वाद, राजा पृथुकी हार, कन्यामोंसे लवण मौर अंकुशका विवाह, नारद मुनि द्वारा लवण अंकुशको राम और लक्ष्मणके सम्बन्ध वताना, दोनोंका सुनकर भड़क उठता, सीताका दोनों पुत्रको समज्ञाना परन्तु दोनों पुत्रोंका विरोध, रामके पास उनका दूत सेजना, चद्ाई, लक्ष्मणका दुतकी बात सुनकर भड़क उठना, दोनोको सेनाओोमें भिडन्त, युद्धका वर्णन, लक्ष्मणका चक्रये प्रहार करना, चक्रका व्यर्थं जाना, परिचय, मिरखन, युद्धकी आनन्दमे परिसमाप्ि । तेरासीवीं सन्धि १७२९२०३ लवण भौर अंकुशका अयोध्यामें प्रवेश, उन्हें देखकर स्त्रियोंकी प्रतिक्रिया, जनता दारा अभिनन्दन, रामक सीताकें विषयमें अपने विचार, सीताके लिए रामका जाना, सीताका आना, अग्नि-परीक्षाका प्रस्ताव स्वयं सीता देवी द्वारा रखा जाना, अग्नि-ज्वालाका वर्णन, उसकी विद्वव्यापी प्रतिक्रिया, कमलूपर सिहासनके बीच सीतादेवीका प्रकट होना, सबके द्वारा सीता देवीकों साधुवाद, सीता द्वारा दीक्षा, रामका मूछित होना, सबका उद्यानमें महामुनिके दर्शनके लिए जाना, राम द्वारा धर्मस्वरूप पूछा जाना, मुनि द्वारा घर्मकां उपदेश 1 चौरासीवीं सन्धि २०४-२३४ विभीषण द्वारा पूछे जानेपर मुनिवर द्वारा रामके पूर्व जन्मोंका वर्णन, लक्ष्मेणके पूवं जन्मका वर्णन, नयदत्तके जन्मसे केकर इस




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