इंगलैंड का इतिहास भाग - 2 | Ingalaind Ka Itihas Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिंदी-प्रेमियों से
आवश्यक अपील
माननीय महाशय,
हमारी गंगा-पुस्तकमाल्ला को राष्रमाषा हिंदी की सफलता-एवं्
सेवा करते हुए आज ६-७ वे हो चुके हैं। आप-जसे गुण-प्राहकों
ने इसकी खूब ही क़द् की है। इसका ज्वलंत प्रमाण यहद डि
जितने स्थायी ग्राहक इस माला के हैं, उतने आज तक किसी भी
माला के नहीं हुए | इसकी ग्राहक-संख्या २,००० के ऊपर पहुँच
चुकी है, तो भी अभी इसके ओर अधिक प्रचार की ज़रूरत है--
_सुचारु रूप से 'मात्ला' को चलाते रहने के लिये हमें कम-से-कम
२,००० ही स्थायी ग्राइक आर चाहिए । यदि हिंदी-हितंषी, गुणज्ञ,
सहृदय सजन ज़रा-सी कोशिश करं, त। उनके ज्ये गगा-पुस्तकमाला
के २,००० स्थायी ग्राइक ओर जुटा देना कुछ कठिन काम नहीं।
हमारी “माधुरी” के तो वे १०,००० से भी ऊपर ग्राहक बना चुके
हैं । अतएवं कृपा कर$# आप स्वयं स्थायी ग्राहक बनें, ओर अपने
इष्ट-मित्रों को भी आग्रह-पुर्वक बनावे । इस “अपील” के साथ छगा
हुआ “आदेश-पत्र” भरकर भेज ओर भिजवाएँ । आपकी यह
ज़रा-सी सहायता हमारे सभी मनोरध सिद्ध कर देगी, ओर इसके
लिये हम आपके सदा कृतज्ञ रहेंगे ।
अस्त । हमने तो अपना कर्तभ्य पालन कर दिया । अब देखें,
. इमारी इस “झावश्यक श्रपील'ः का श्रापके अपर भी कृद असर
होता हे या नहीं । हम उत्सुकता के साथ आपकी सद्बायता की
प्रतीक्षा कर रहे हैं। अआइए-आइए, हिंदी-माता की सेवा में हमारा
हाथ बेंटाइए, ओर इस प्रकार स्वयं भी पुण्य-द्वाभ कीजिए ।
निवेदक ---
सचालक गगा-पुस्तकमाला , लखनऊ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...