उपाध्याय अमर मुनि : व्यक्तित्व और कृतित्व | Upadhyay Amar Muni : Vyaktitava Aur Kratitava

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Upadhyay Amar Muni : Vyaktitava Aur Kratitava by विजय मुनि शास्त्री - Vijay Muni Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सर्वेतोम॒द्ों ब्यक्तित्व & वात-चीत मे नवनीत से भी अधिक मूदु, कुसुम से भी अधिक कोमल । तकं मे एवं विचारः-चर्वा मे कुलिदादपि भ्रधिक कठोर, चट्टान से भी अधिक सुहढ़ । व्यवहार में चतुर, परत्तु अपने विचार मे श्रचल, श्रकम्प ग्रौर्‌ अ्रडोल । जीवन के सुपमामय अरुणोदय में गीतकार, जीवन के सुरभित वसन्त में कोमलकवि, जीवन के तप्यमान मध्य में दार्शनिक, विचारक समाज-संघटक और जागरण-शील जन-चेतना के लोक-प्रिय ग्रधिनेता । जो एक होकर भी सम्पूर्ण समाज है, और जो समाज का होकर भी अपने विचारों की सह्ठि में सर्वथा स्वतंत्र है। जो व्यश्लि में समष्ठटि है और समश्नि में व्यकज्षि है। जो एकता में ग्रनेकता की साधना है, और जो अनेकता में एकता की भावना हैं । जन-चेतना के संस्मृति-पट पर जो सदा स्पप्ट, निर्भय निद्व न्द्र होकर आए। प्रसुम जन-चेतना को प्रवुद्ध करने वालों में जो सब से अधिक लोकप्रिय हैं, सब से अधिक सजग हैं । समाज-संघटन के सूत्रधार, संयोजक और व्याख्याकार होकर भी जो अपनी सहज वितय-विनम्र वृत्ति से वृद्धानुयायी रहे हैं । जो अपने से बड़ों का विनय करते हैं, साथी जनों का समादर करते हैं, ओर छोटों से सदा स्नेह करते हैं । स्नेह, सदभाव, सहातुभ्ुति, सहयोग और समत्व-योग के जो ग्रमर साधक हैं। भ्रमर, ग्रमर है । वह अपने जेसा आप है। शब्द-चित्र : लम्बा और भरा-पूरा शरीर। कान्तिमिय श्याम वर्ण। मधुर मस्कान-शोभित मुख । विराल भाल | चोड़ा वक्षःस्थल । प्रलम्ब वाहु । सिर पर विरल और धवल केश-राशि। उपनेत्रं मे से चमकते-दमकते तेजोमय नेतर, जो संमुखस्थ व्यक्ति के मनःस्थ भवोंको परखनेमें परम प्रवीण हैं। सफेद खादी से समाच्छादित यह प्रभावकारी और जादू भरा वाहरी व्यक्तित्व, आन्तरिक विशुद्ध व्यक्तित्व का अव्यभि- चरित अनुमान है। सादा जीवन, उच्च विचार । २




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