भारतीय अर्थशास्त्र की रूपरेखा | Bharatiya Arthshastra Ki Rooprekha
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
346
श्रेणी :
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ए. के. जैन - A. K. Jain
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एस. सी. तेला - S. C. Tela
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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गदर (स्वतन्त्रता घथ्राम) (प्ण) ৩: আয ০1 1०0९7 ९०९९००९)}
के कारण फम्पनी का प्रन्त পুজা 1 कम्पनी के विगत कार्यों से भारतीय
राजा अपने भविष्य के प्रति सशकित हो गए । उनके विद्रोह को समात्त
करते समय ब्िटिश सरकार ने कम्पनी को समाप्त करना भी उचित
सममभा ।
गदर के धुरस्त बाद इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधान मंत्री लार्ड पामसर्टन
ने बम्पनी के अध्यक्ष को विटिश सरकार के इस निरएय की सूचता दी
कि भारत सरकार के कार्यों की देसरेख सीधे दिटिश शान के अन्तर्गत
होगी $ झगस््त 1858 मे भारत में उत्तम शासन हेतु प्रधिनियण पारित
किया गया 1 इस प्रकार सद् 1858 में कम्पनी के स्थात पर सीधा
शाप्तन ब्रिटिश सरकार के हाथों चता पषा 1
फत 1600 में (मट इन्डिया कम्पनी भारत में विशुद्ध व्यापारिक
हृष्टिरोण लेकर धाई किस्तु धीरे-बीरे देश की प्रशासनिक व्यवस्था को
भी अपने हाथों में छेती गई । रप्पती की इत गतिविधियों पर ब्रिडिश
सरकार धोरे-घीरे तियंत्रण स्थापित करती गई । सत् 1857 के गइर
के बाद दो ब्रिटिश सरकार से अधितियम प्रारित करके कम्पनी का
भं समाति कर णासन अपने देखरेख में ले लिया । हग अधितियम के
अन्तर्गत कम्पतों के अधिकार एवं बर्तंध्य भारत सचिव भो सोंप दिये
गये ॥ इस प्रधिनियम में 75 धाराएं थी जितमें से अधिकांश ब्रिटिश
शासत की समाधि तक यनो रहीं ॥
इस ध्षिनियम के घनेन ।5 सदस्यो की एकं परिषद् की सहायता
से मारत सचिव द्वारा ईस्ट ट्वा ङे प्रदन्धित समी चेतौ का णासन
चछाने की स्यवरस्प। पी ॥ परिषद के सदस्यों एवं मारत सचिव से
संदर्धित ध्रमी ध्यय भारत के राजस्व में से दवाएं जाते थे ।+ मारत के
गवनेर जनरछ तथा मद्ठास और बग्बई के: गवर्नर को नियुक्ति गया
धषिकार दंस्लेंड शी रानी को था । इस झषिनियम में भारत के हिंद
विरोधो अनेक बातें थो जिनको अनङारी सामान्य जनता को
नहीं थो 1
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