संसार के महान उपन्यास | Sansar Ke Mahan Upnyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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देहात का पादरी श कर आया था । वह काफी रोई-घोई थी, परन्तु उसे विदेश कर दिया गया था । पादरी ने उसकी रक्षा करने का दीड़ा उठाया और उपाप प्रारम्भ किया । उसे पहले ज़मीदार थौनेंहिल पर संदेह हुआ किन्तु जमीदार ने कसमें खाइं ओर कहा कि 'उसका इस मामले से कोई तात्लुक नहीं था । ऊद दर्चल के अतिरिक्त और किसपर संदेह हो राकता था * इस खोज-दूढ मे पादरी बीमार पड़ गया । तीन सप्ताह बाद उसे अपनी पुचरी एक याद की सराय में अकेसी मिली । उसको यह जानकर अध्यन्त दुःख हुआ, बल्कि दिल को घवका लगा कि भूठी शादी का लालच दिखाकर कओोलौविया को चकमा देकर अगा ले जानिदाला भर कौई नहीं, स्वय डमीदार थौरनंहिल ही था, बल्कि बर्चेल ने तो इसमें बाधा देने की भी चेप्टा की थी । अगली रात जब वे घर लौटकर आए तो पादरी की वेदना और अधिक बढ गई । उसके घर मे आग लगी हुई थी। परिवार किसी तरह वचकर बाहर 'माग निकला। किन्तु इमारत बरवाद हो गई और इसलिए उन्हें एक दड़े रही कोठें मे शरण सेनी पढ़ी । पादरी की पत्नी ने पुत्री को देखा तो चह से कट वचन कहने लगी । पादरी ने उमसे कहा, में एक भटके हुए प्राणी को तुम्हारे पास ले आया हू । वह अपने करेंब्यो को सुचारु रूप से कर सके, इमलिए आवश्यक है कि हमारा पू्ववत्‌ स्नेह उसे प्राप्त हो ।” पादरी के ममता-भरे वचनों को सुनकर उसकी पत्नी चुप हो गई । ओलीविया वे दुःख का अन्त नहीं रहा, जब उसने सुना कि तथण जमीदार थौनें- हिल का कुमारी वित्मौट से दिवाह होनेदाला था। विल्मौट धनी थी और एक दिन उसीसे ओपीविया के माई की शादी टूट गई थी । हडॉवटर प्रिम ऐोज़ को क्रोध-सा हो आपा । उसने तरुण जमीदार के सामने जाकर उसे खुब फटशारा । तरुण ज़मीदार अपने रुपये मांगने लगा । पादरी के पास धन नहीं था नो किशया चुका देता । अगले ही दिन रमीदार ने पादरी को काउन्टी थी जेल में इलवा दिया, क्योकि वह कर्सदार था । पादरी का परिवार अब्र और भी अधिक संकट में पड़ गया । धनाभाव ते अपनी भगकर दाई़ खोल दीं । जेल में ही पादरी को यह हृदय-विदारक सवाद मिला कि ओलोविया दौमार होकर इस ससार से सिंपार गई । इसी घटना के बाद एक दिन उसकी पत्नी ने रो-रोकर 'उसे यह समाचार दिया कि गुडे उसकी बेटी सोफिया को परड़कर ले भागे थे । मुसीवतों के देर ने पादरी को अपमरा-सा कर दिया । पादरी का पुर जॉर्ज इस 'अत्यादार के विपय मे पिता का पत्र पाकर अत्यन्त ुद् हो उठा और परिवार थो धोसा देनेवाले तरुण ज्षमीदार योनेंदलि थो दण्ड देने उसके घर पहुंचा । उमीदार के नौकरों से उसपर हमला अर दिया और जद जज ने उनमे से एक को धायल कर दिया तो जॉर्ज को भी गिरफ्तार करके पिता के पार ही जेल में भेज दिया शया पादरी अब बहुत बीमार हो यया 1 उसने अन्तर प्रदत्त किया । तरुण उमीदार के वाया सर विलियस थौनेंट्लि यो उसने सारी घटना लिख दी और उनके उत्तर को प्रतोश्ा पर बा लगाए रहा । और कोई चारा नहीं था 1 मुत्यु निशट आउी लग रही




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