समय और हम | Samay Aur Ham
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
780
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)= भमान घोदनपातय एह दु थी प्रोर তাহ লতি
एपोद्रूघात
प्रस्तुत प्रत्य कौ इस सप और आकार में पाकर मै सुर आश्चर्य द कर
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था, तब ती पैन वल्पता भी नही कौ थी कि मैं इस गह्ो दौस रहो परे ४६ प्रष्त
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प्रस्थारम्म क्यों-रेसे ?
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ओतौ जिश्ञासा ऐसी प्रेरणाओं कौ सृष्टि हड्डी बी। कमौकमौ जौर विप्लेपकर
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जाया ई। व्यक्ति दौत प्रशोन अबरूद और शृद्ध अगुमभ कएएा हैं। पहस गौ
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आए्गा को पून' सचेत और छतेग किस जाग। सत् ६ ढा अग्तिग भाप मेरे
জিত पुछ ऐसा हो विपद् और परौध्मा का बाख़ था। मत बेहर अआज्ोड़ित वा और
मुझे एबर, परम्पया शौति बौर प्रीति सब पर एक बश बहुत बड़ा प्रस्त-विह्ठ
क्षत्रा दौश्षता था! मेरी भास्तिकता मैरे हवाषा से छूटी थाती बौ और पह मृझे पक्ष
कहीं हो रहा था। ये बहुद उदास और विप्त था। मैरी पौमित तुच्छ-बुद्धि अन्दर
की भुटत और उमझ् को सेरने और सोचने मे स्वर्य कौ एकशम असमर्थ पातौ जौ।
अध्ययत উ বল বিলী युश्ते लरजि ही बयौ बी । शत्प सौ है कि मत कौ ऐसी अपस्ना
ঈ बहुपा हजारो रह॒स््पभरी कविताएँ, पैकशो कछात्मक कहानियाँ और बस्ियी
शये डपन्पास भौ বন काम नही कर पहले, चलो शह्दानुयूटियूर्ण बुस्चत के शो दैम
शाप कर छाले हैं। अन््थु डॉ रणबौरअल्क राइ| हारा আমীজিত্ত ক্ষে পাছত
अचारक मुझे बैतेशजो कै बर्धण हो भपे। गड्ँ कौ चर्चा प्र सुद्धे हना कि
क्यों त ये चंबेशजी के बमश हो ल्थप कौ चो्। छागद इत्हौके बचनों ते
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