हम अच्छे कम्युनिस्ट कैसे बनें | Ham Achche Communist Keyse Bane

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Ham Achche Communist Keyse Bane  by रमेश सिनहा - Ramesh Sinha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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0 «७ 0 लय चर माक्स, एगल्स, लॉनिन आर स्तालिन के श्रेष्ठ शिष्य बनने की कोशिश करो ! कम्युनिस्ट पार्टी का मेम्बर होने के लिए तो सिफ़े उन्हीं शर्तों को पूरा करना पड़ता है जो पार्टी के विधान में दी गयी हैं । अर्थात, कोई भी आदमी जो पार्टी के कायेक्रम और विधान को स्वीकार करता है, पार्टी मेम्बरी का चन्दा देता है और पार्टी के किसी एक संगठन के भन्दर दिये गये अपने कामों को अंजाम देता है, ब्द पार्टी का मेम्बर बन सकता है । ये कम से कम शर्ते हैं जो हर पार्टी मेम्बर को पूरी करनी चाहिए । इन दार्ती को पूरा किये बिना कोई पार्टी का मेम्बर नहीं बन सकता । लेकिन हमारी पार्टी के प्रत्येक सदस्य को केवल ये कम से कम योग्यताएँ ही नहीं रखनी चाहिए । उसे केवल इन कम से कम योग्यताओं से ही संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए और न अपने को उन्हीं तक सीमित रखना चाहिए; बल्कि उसे सतत प्रगति करने की और माक्सेवाद-ढेनिनवाद की अपनी चेतना आर समझ को बढ़ाने की चेष्टा करनी चाहिए । पार्टी और क्रान्ति की तरफ़ भी यह एक कतेंव्य है जिससे किसी पार्टी मेम्बर को भागने की कोशिश नहीं करनी चाहिए । इस कर्तव्य को सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी ( बोल्शेविक ) के नये विधान में भी हाल ही में शामिल कर दिया गया है । छेकिन, इस कर्तव्य को. सन्तोषजनक रूप से पूरा करने के लिए हमारे पार्टी मेम्ज्रों को अपने को इस्पाती बनाने के तथा अपना आत्मविकास करने के प्रयत्नों को और तेज़ करना चाहिये । इसलिए, अपने को इस्पाती बनाते और अपना भात्मविकास करते समय पार्टी मेम्ब्रों का लक्ष्य सिफ्रें कम से कम योग्यताएँ हासिल करना नहीं, बल्कि भधिक से अधिक योग्यताएँ हासिल करना होना चाहिये । आज यह बताना कि ये अधिक से अधिक योग्यताएँ. क्या हैं हमारे लिये बहुत मुश्छिल है । ढेकिन दमारे सामने माकस, एंगेल्स, ढेनिन और स्तालिन के शब्द और कपय हैं, उनकी पूरी जिन्दगियों की सफलताएँ और गुण हैं जिन्हें हम अपना आदशे और अपने आत्मविकास को परखने की कसौटी बना सकते हैं । आत्मवि कास का मतलब अपने गुणों को हर रूप से उसी धरातल पर ऊँचा उठाना है जिस पर माक्से, एंगेल्स, लेनिन और स्तालिन थे । हमें उनके श्रेष्ठ शिष्य बनने की कोशिश करनी चाहिये । सवोंच सोवियत के चुनाव के सम्बंध में दिये गये अपने भाषण में को. स्तालिन ने कहा था : ११




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