श्री स्वामी रामतीर्थ भाग - ६ | Shree Swami Ramtirth Bhag - 6
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.25 MB
कुल पष्ठ :
131
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द्ं स्वामी रामतीथ डंक मारने के बाद मर जाती दे । इस प्रकार वहां प्रेरित हे जा झपने डंक-प्रदार में झपना सम्पूर्ण जीवन भर दूता दते यही पूर्ण रहस्य है । यह नददीं हो सकता कि पक दी द्मय में तुम अभिनिवश में भी दो झार भोग भी करा । कसा वस्तु का भोगने को चे्टा करते दा तुम मरणए म नदा रद ज्ञात । जब तुम प्रेरणा में दोगे तब दूसरे लुम्द मोग करंगे संसार तुम्दे भोग. करेगा । परन्तु तुम स्वयं एक दो साथ ग्रेरणा युक्क ओर .मोग करने वाले-दोना ना दा सकत लुम भोगी तो न .होगे परन्तु झार. शो झुठछ . दाग स्वय सुख दोगे । पतंग दीपक की को में जल मरता दे ओर तंब अपनों चेमं प्रमाणित करता दे । साघारण पाखी आर पतिंगे में भेद कियें जाने के लिये यदद झावश्यकता दोती दे कि पर्तिगा दी पक से दग्ध दोकर सिद्ध करदे कि वह पाखरी पतंग दे । इसी तरद प्रेरणा युक्क मजुष्य ठोक प्रेरणा युक्क मजुष्य समझा जान के लिये उसकी प्रेरणा शह्ति प्रमाणित श्ौर प्रगट होने के लिये यह श्रावश्यक दे कि चढ़ मनुष्य योंगी हो । भय से परे दुर दुर वद्द जाता दे ससार के लिये सब तरह से मस्तक द्ोता हे । जीवित प्रछति को छोड़ कर श्ौर कहीं से कभी कोइ मददान भ्रेघावी 26०08 प्रेरणा नहीं प्राप्त कर सका | प्ररुति से एक उपमा लेकर इसका दशान्त दिया जायगा । पानी इस ऐ्रायवा करों जीवन प्रदान करता डे | प्रकाश के साथ पानी ही इस संसार में सब प्रकार की उपजो का कारण होता है । ठुम्दारीं खेती पानी से पकती हैं पानी इश्वर का बड़ा भारी प्रसाद हें। इसे देश में लोग वर्षा को नदीं पसन्द करते । परन्तु
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