उद्यान | Udyan

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Udyan by शंकर राव जोशी - Shankar Rav Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ उद्यान पर आगे चलकर भिन्न-भिन्न वृक्षों की नियमावली पर लिखते समय विचार करगे । खाद्‌ संसार के अत्येक जीवधारी को भोजन की जरूरत होती है। पौदे जीवधारी तो हैं, किंतु हैँ जड़--चल-फिर नहीं सकते ! अतएव उन्हें भोजन-सामग्री देनी पड़ती है। जो लोग वृक्षों को बोते हैं; उन्हें ही यह काम करना होता है । इसी क्रिया को खाद देना कहते हैं । यहाँ यह प्रश्न उपस्थित होता है कि जंगलों ओर अन्य स्थानों में खड़े हुए बच्तों को खूराक कौन जुटाता है. ! इस प्रश्न का सीधा-सादा उत्तर यही है कि ग्रकृति-माता ही उन्हें खिलाती-पिलाती है। बड़े-बड़े वृक्षों की जड़े इतनी गहरी होती ओर इतनी दूर फेल जाती हैं. कि वे पौदे के लिये काफी खूराक़ ग्रहण कर सकती हैँ । खाद भिन्न-मिन्न वर्गो ঈ নাঁতী হাই है। उन वर्गों पर यहाँ संक्षेप में कुछ लिखा जायगा-- ( १ ) नाहृरोजन-युक्ग खाद - गोबर लीद, भेङ्-वकरी की मेंगनी, सड़े पत्तों की खाद, हरी खाद, खली, विष्टा, सोडियम नाइटेट अमोनियम सल्फ्रेट आदि नाइट्रोजन-युक्त खाद हैं। (२) फाप्रफ्रस-युक्ष खाद--६डी का चूरा, हड्डी का कोयला सुपर फ़ासफ्रेट ओर मछली की खाद । ( ३ ) पोटाश-युक्त खाद---राख, सल्केट ऑफ़ पोटाश। ऊपर के वर्गाकिरण से यह न सममः लेना चाहिए कि भिन्न-




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