द्रौपदी | Draupadii

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Draupadii by राकेश कुमार - Rakesh Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्रौपदी | ७ लिपिस्टिक हैण्डबेग अस्पताल नसें और बाजरे की कलंगियों तक के स्वाभा- बिक चित्र कविता में खींचे गये हैं । एक उदाहरण लीजिये-- पार्टनर झाड़ दो ना राख दर्शन को बड़ी मसनहुस लगती है । तुम्हारी अँगुलियों में दबी सिगरेट जल उुकी है राख केवल रह गई है पुरानी गठन के सम्पकं के कारण लेकिन यह को बड़ा बेचैन करती है । इस प्रकार की रचनाओं में कोई स्थायित्व नहीं । व्यक्तिपरक मीति-क्ाव्य स्वतन्त्रता के परचातू _ हिन्दी-काव्य-कषेत्र में इनमें नीरज वीरेन्द्र मिश्र दम्मुनाथसिह रामनाथ अवस्थी रामावतार त्यागी रामकुमार चतुर्वेदी वालस्वरूप शास्त्री सोम ठाकुर आदि उल्लेखनीय हैं । इन नए कवियों के अतिरिक्त माखनलाल चतुर्वेदी पत्त बच्चन निराला नरेन्द्र दार्मा नवीन नैपाली अंचल रांगिय राधव आदि स्वतस्त्रता के पूर्वें के कवियों ने भी गीत लिखे हैं । इन गीतों में जहाँ निराशासूलक और वेदनामूलक गीतों की परम्परा मिलती है वहाँ आशाजनक जिजीविषामूलक गीत भी मिलते हैं । निराशाजनक मत्युवादी गीत वाया दम दर संत करो प्रिय रूप का अभिमान । कब्र है घरती कफन है आसमान । कद भर इसी तरह ते हुआ सांस का थे सफर । जिन्दगी थक गई मौत चलती रही । --नीरज




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