बनौषधि प्रकाश | Banoshadhi Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.72 MB
कुल पष्ठ :
331
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द्वितीय सुच्द्ध 1 5
म०--द्दस्ति इंडुडोा, नेट घाख !
धन--ददाति घुद 1
करब--नठदायरे |
कण घ0फाए दपितेटफाएप,
घणान-इसका सुप १ से इ फीट तक ऊँचा, चहुसती शाखाओं
सुर, पत्ते नागर पानके साकार के ठये गोछ-सफेंद रुपदार खरदरे
सफेदी माय हरे रंगके दवाते हु। फूलाकी मंज्रा १ से ८ इचल
तक रची बहुधा प्षोके विरुद्ध व्शामि निकठ फर दायीकी सडक
भन्नफी सदश मुह्ो जाया कर्च्त, दै। जड़ प्रथ्वोमें गद्दरीं समाइ
हुई चादामी रंगको होली है!
शुण दे।घ--ज्रिदोष, ज्वर, कोथ, विष दर दे |
उपयोग घ्रयोग--
(९) इसकी जड़की मूसफियोंकों ठखाड़ फर दिच्छूके घाठ
पर छेप करने से ठाम दोता दे ।
(२) इसके पत्तोंकि रसमें छ्ाथ मिंगों कर फिर सुखाना और
फिर दिच्छु पकड़ने से घह्द डक नहा मारता!
, ३) ख्व श्रकारके श्रणा पर इसके पत्ताका लक तलमं जद
कर दगाना 1
(४) चावज्चे कुत्तके काठ पर इस फे पत्ताफा छेप करना 1
(५) ५ तोछें इसके पत्तोंफ कूद रूर पेटठी चना फर चारीफक
उबर आनेंद ६ घट पटके सूचना (
(६) [ करोन्द्र छंडपादि सान्िपात विध्येंश रख [-सिंगरफ
उत्तम आध सर छेकर उच्स पारा निकाश फर उसे सेघे नमक की
पाददीमे घौध कर केंपठ जठसे उपदर स्वेद्न करना 1
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