बनौषधि प्रकाश | Banoshadhi Prakash

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Banoshadhi Prakash  by रुद्रवंती - Rudravanti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्वितीय सुच्द्ध 1 5 म०--द्दस्ति इंडुडोा, नेट घाख ! धन--ददाति घुद 1 करब--नठदायरे | कण घ0फाए दपितेटफाएप, घणान-इसका सुप १ से इ फीट तक ऊँचा, चहुसती शाखाओं सुर, पत्ते नागर पानके साकार के ठये गोछ-सफेंद रुपदार खरदरे सफेदी माय हरे रंगके दवाते हु। फूलाकी मंज्रा १ से ८ इचल तक रची बहुधा प्षोके विरुद्ध व्शामि निकठ फर दायीकी सडक भन्नफी सदश मुह्ो जाया कर्च्त, दै। जड़ प्रथ्वोमें गद्दरीं समाइ हुई चादामी रंगको होली है! शुण दे।घ--ज्रिदोष, ज्वर, कोथ, विष दर दे | उपयोग घ्रयोग-- (९) इसकी जड़की मूसफियोंकों ठखाड़ फर दिच्छूके घाठ पर छेप करने से ठाम दोता दे । (२) इसके पत्तोंकि रसमें छ्ाथ मिंगों कर फिर सुखाना और फिर दिच्छु पकड़ने से घह्द डक नहा मारता! , ३) ख्व श्रकारके श्रणा पर इसके पत्ताका लक तलमं जद कर दगाना 1 (४) चावज्चे कुत्तके काठ पर इस फे पत्ताफा छेप करना 1 (५) ५ तोछें इसके पत्तोंफ कूद रूर पेटठी चना फर चारीफक उबर आनेंद ६ घट पटके सूचना ( (६) [ करोन्द्र छंडपादि सान्िपात विध्येंश रख [-सिंगरफ उत्तम आध सर छेकर उच्स पारा निकाश फर उसे सेघे नमक की पाददीमे घौध कर केंपठ जठसे उपदर स्वेद्न करना 1




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