विज्ञान | Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
85 MB
कुल पष्ठ :
303
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ विज्ञान {भ
च ( कोञ्या उ~च )
१-च कोज्या 3
क्ीज्या उन्च
१-च कोज्या 3
कोज्या द~-च
१-च कोज्या उ
ˆ. मोञ्या स =
' १ कोज्या सर है -
१-च कोज्या उ-क्ौज्या ठ +च
१-च कोज्या उ
१--च कोज्या उ+ कोज्या उ-च
१-च कौञ्या उ
. १-क्रोज्या स_ १-च कोज्या इ-कोौम्या ड+च
* * ३ +कोज्या स १-च कोज्या ड + कोज्या उ-च
(९-कोञ्या उ) (९-+ च)
` (१ + कोज्या उ) (१-च)
“ १+च १-श्रेज्याउ
ˆ १ १ + कोञ्य उ
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क १-च म्
^ +त दस्यरे ;... (३)
१-च २
छरीर ९ कोज्या स=
.*.* स्परे
अथवा स्परे =
यह समीकरण स्पष्ट मंद केन्द्र ओर उत्केन्द्रके
सम्बन्ध प्रकट करता है |
समीकरण (१), (२) और (३) से 5 के किसी
मानकों जान कर स्पष्ट मन्द केन्द्र, मन्दकर्ण और
द के मान जान सकते है| परन्तु व्यवद्ारमे इससे
सरत्ता नहीं होती। यदि मध्यम मन्द केन्द्रका
मान जान कर स्पष्ट मन्द्केन्द्र और कर्णका मान
जाना जा सके तो अधिक उपयोगी होता है । इसके
लिए समीकरण (३) को त्रिकोण मितिकी रीतिसे
फैल्लाना पड़ता है जो यो किया जाता हैः--
क# किसी कोणकी ज्याकों उसकी फोटिज्यासे भाग देने-
: घर जो कुड आता है वह. उस कौणकी स्पश रेखा कहलाता
है। संतेपमें किसी कोश मे की स्पर्श रेखाकों स्परे म
ভিজ हैं।
माथः १३
'नीकी त्रिकोशमिति भाग २ अथवा राड
हंटरकी त्रिफ्कीण मिति याम: मं- खुधाकर डिदेदीके
लन पृष्ठ ४२ से यह स्पष्ट है कि...
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