विज्ञान | Vigyan

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Vigyan by गोपलस्वरूप भार्गव - Gopalswarup Bhargav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ विज्ञान {भ च ( कोञ्या उ~च ) १-च कोज्या 3 क्ीज्या उन्च १-च कोज्या 3 कोज्या द~-च १-च कोज्या उ ˆ. मोञ्या स = ' १ कोज्या सर है - १-च कोज्या उ-क्ौज्या ठ +च १-च कोज्या उ १--च कोज्या उ+ कोज्या उ-च १-च कौञ्या उ . १-क्रोज्या स_ १-च कोज्या इ-कोौम्या ड+च * * ३ +कोज्या स १-च कोज्या ड + कोज्या उ-च (९-कोञ्या उ) (९-+ च) ` (१ + कोज्या उ) (१-च) “ १+च १-श्रेज्याउ ˆ १ १ + कोञ्य उ ৩৪ सपर? क १-च म्‌ ^ +त दस्यरे ;... (३) १-च २ छरीर ९ कोज्या स= .*.* स्परे अथवा स्परे = यह समीकरण स्पष्ट मंद केन्द्र ओर उत्केन्द्रके सम्बन्ध प्रकट करता है | समीकरण (१), (२) और (३) से 5 के किसी मानकों जान कर स्पष्ट मन्द केन्द्र, मन्दकर्ण और द के मान जान सकते है| परन्तु व्यवद्ारमे इससे सरत्ता नहीं होती। यदि मध्यम मन्द केन्द्रका मान जान कर स्पष्ट मन्द्केन्द्र और कर्णका मान जाना जा सके तो अधिक उपयोगी होता है । इसके लिए समीकरण (३) को त्रिकोण मितिकी रीतिसे फैल्लाना पड़ता है जो यो किया जाता हैः-- क# किसी कोणकी ज्याकों उसकी फोटिज्यासे भाग देने- : घर जो कुड आता है वह. उस कौणकी स्पश रेखा कहलाता है। संतेपमें किसी कोश मे की स्पर्श रेखाकों स्परे म ভিজ हैं। माथः १३ 'नीकी त्रिकोशमिति भाग २ अथवा राड हंटरकी त्रिफ्कीण मिति याम: मं- खुधाकर डिदेदीके लन पृष्ठ ४२ से यह स्पष्ट है कि... १.८-१९ ~स 4^ - | উন | ११, क म, ~ स्प ९ -- < ~. 5 ৮ ৯/ नः (4 ঠ यहां इ नेपिएरियन लघुरिक्तका आधार है, जिसका मान बीज गणितके अलुलार है ९ + ९.५. > न + 1. «इत्यादि जब कि ४ का [२ ३ ४ . अर्थ है ४५३५ २०७ १, ६ का अर्थ है ३४ २२१, (११ का अर्थ है ११९१००८६ ८ ---२८१। ङ न নে ৮/-২ --- ^«^“- इसी पकार स्परे -+ -ई _ के তি ~ ये +/- ২৮/-২ রী শন (३) समीकरणुका रुप होगा ₹৬/ -২2৮/-, 0, 4: ^ ८२-च.. न এ २५८ -* -र +~, के ड + ड | छि .... হি ^ ^^ - , इ इ + खं का का ख চিত? বে -९ ই ২ दइ +र थवा | ০০ ८15 ५१ স্‌ ~ स ^^ ~ : ` # १ उ 4८ --१ হু + ड्‌ ` - (क्र समोकरण (क ) के प्रत्येक पत्तमे १ जोड़ा जाय तो




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