परम ज्योति महावीर | Param Jyoti Mahaveer
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
700
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about धन्यकुमार जैन 'सुधेश '-Dhanyakumar Jain 'Sudhesh'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १ )
जैन और बौद्ध धर्म
भगवान महावीर के कुछ वर्षों तक उपदेश देने के परचाप् लता,
-बुद्ध ने अपना उपदेश प्रारम्भ किया । दोनो धर्म निवत्तेक धर्म हैं और
दोनो ने अहिंसा का प्रतिपादन किया किन्तु दोनों के सिद्धान्तो म कुछ
बुनियादी अन्तर है। बौदह्न धर्म चित्त शुद्धि के लिए. ध्यान, मानसिक
संयम, वाह्य तप ओर देहदमन को आवश्यक नहीं मानता जब कि जैन
धर्म चित्त शुद्धि के लिए बाह्य तप और देहदमन पर जोर देता हे ।
जब कि जैन धर्म के उपदेश गूढ़ और दार्शनिक हैं बौद्ध धर्म के लोक
गामी | जब कि महावीर जैन धर्म के चौबीसवे' तीर्थड्डर हैं और अपने
पूव के सब महापुरुषों की परिपूर्णता के प्रतीतात्मक रूप हैं, बुद्ध अपने
धर्म के आदि उपदेष्टा हैं। जब कि बौद्ध धर्म के अनुयागियों में मांसाहार
वर्जित नही जैन धर्म सर्वभूत दया पर अत्यधिक जोर देता है | बौद्ध
धर्म जब कि बुद्ध को आदर्श रूप से पूजता है तथा बुद्ध, के उपदेशों
का ही आदर करता है। जैन धर्म महावीर और अन्य तीथंझरों को
इष्टदेव मानता है | इसीलिए, उनके बचनों का आदर करता है। दोनों
ही धर्मों में प्रथम स्थान त्यागियों का है और दूसरा गहस्थो का किन्तु
बौद्ध धर्म जब कि मध्यमार्ग का प्रतिपादन करता है तो जैन धर्म वीतराग
विजान को सर् नवाते हुए कहता है |
मगलमय मगल करण यीतराग विज्ञान |
. नमो ताहि जातें भर, अरहतादि महान ॥
-भगवान महावीर के उपदेश
प्रस्तुत काव्य ग्रन्थ में कवि ने अधिकाशतः दिगम्बर अ्रनुभ्रुतियों
के आधार पर केवल ज्ञान प्राप्ति के लिए. भगवान महावीर की
न्कटोर साधनाश्रों, अरदूधृत त्याग, अलौकिक तप ओर असीमित देह
दमन का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है। इस प्रकार बारह बर्ष की
तपस्या के बाद जमिय ग्राम के बाहर, ऋजुवालिका नदी के तट पर,
User Reviews
No Reviews | Add Yours...