सौंदर्य शास्त्र के तत्व | Soindary Shastr Ke Tatv
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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चाधो कौ पारस्विवि सम्बदता--वर्ण-बोध, दृष्टि-चेतना अौर शरीरविज्ञान
--चित्रव॒ला और मगीत कला म तात्िक साम्य---आर एस. मेण्ड्ल की
भान्यता--दोलनवीक्ष वे द्वारा रागो वे रेखाचित्र वा आनयन--भा रतीय
साहित्य म॒रागमाला' के चित्र--एडवर्ड हौवड़ें ग्रिगूस, लैगर और जॉन
डेवी वै विचार तेसिग, बे एस रामस्वामी शस्प्री गौर महादेदी वर्मा के
विचार-क्नाओं का तात्त्विक अन्त सम्बन्ध ओर् विशी का 'परेगन/---
क्षेमेद्ध वी मान्यता--वाव्य और चित्रवला के तात्त्विक साम्य पर अरस्तू षे
विचार--शास्भ्रीय परम्परा वे अनुसार वाब्य और चित्र--वाव्य का वर्ण-
लेखन और चित्रवल[--दाव्य और चित्र की विपय-वस्तु में साम्य--चित्र-
वला ने छह अगो मे तीन अग (भाव, लावण्य-योजना और सादृश्य) फाव्य
में भी विद्यमान--अवनीन्द्रनाथ ठाकुर वे विचार--भा रतीय व ला-साहित्य
में काव्य और चित्र-वला का समन्वय--डन्त्यु जी आच॑र वा मन्तव्य--
छेप्णकाव्य से चित्र-क्ला का विश्चेप सम्बन्ध--पराश्चात्य बला-साहित्य में
काव्य भीरचितक्ला का समन्वय--वांद्लेयर ओर कृवे, रोटी ओर दान्ते,
हटमन हट ओर् मिनेस-- काय्य ओर चित्रकला के समम बौ दृध्टि से
विलियम न्तेक--यीदूम, एन्थोनी व्लण्ट ओर रो एच लरिन्स के विचार-
कला-समम स्वच्छन्दतावाद (रोमाण्टिसिज्म) की एक विशिष्ट प्रवृत्ति--
चिच्रक्ला भौर समीत कला मे तास्विक साम्य--लय ओर अनुपात- कलाओं
वा सयोजन-सिद्धान्त और अनूपात- भारतीय क्ला-साहित्य म सगीत्तक्ला
ओर चित्रकला की अन्त सम्बद्धता--रागमाला चित्रों की कल्पना--हीगेल,
गिन्सन, काण्डिन्स्वी प्रभृति पाश्चात्य विचारको कै मन्तव्य--नाद और वर्णं
वा समीक रण--घित्रकला और मूर्तिक्ला का तात्त्विक अन्त सम्बन्ध--चित्र-
নলা और स्थापत्य कला वा अन्त सम्वन्ध--स्थापत्य कला सभी कुलाओ
की जननी--आर एच विलन््स्ती के विचार--घनवाद (क्यूविज़्म) चित्र-
कला परं स्थापत्य के प्रभाव की स्दीटेति--काव्य भौर स्थापत्य क्लाका
सम्यन्ध--पमीत कलां जौर स्थापत्य कला का समभ्वन्ध-- स्थापत्य कला
फोजेने म्युजिक'-- सगीत कला पलोईग आक्टिक्वर'- सगीत और स्था-
पत्ये मे सगति, सन्तुलन भौर सथोजन--च्टिक्टर त्सुके रकाण्डल का मन्तव्य
-रीगेल की धारणा- काव्य ओर सगीत कला का तात्तिक अन्त सम्बन्ध
--वेविताम लय--याधुनिक कविता मे समीतत का आभ्यन्तरीकरण--
कविता म सगीत श्ब्द-सगीत, भाव-सगीत और नर्थ-समीत-ववितामे
छन्द ओौर लय की स्वीटृत्ति- काव्य ओौर सगीत की तात्विक निकटता
का प्रमाण--लय सभो ललित कलाओं का अनिवायं तच्व--क्रम-सगत
लय और कमहीन लय--कवियों और सगीतकारों में साम्य---आर एस,
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