सौंदर्य शास्त्र के तत्व | Soindary Shastr Ke Tatv

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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13 चाधो कौ पारस्विवि सम्बदता--वर्ण-बोध, दृष्टि-चेतना अौर शरीरविज्ञान --चित्रव॒ला और मगीत कला म तात्िक साम्य---आर एस. मेण्ड्ल की भान्यता--दोलनवीक्ष वे द्वारा रागो वे रेखाचित्र वा आनयन--भा रतीय साहित्य म॒रागमाला' के चित्र--एडवर्ड हौवड़ें ग्रिगूस, लैगर और जॉन डेवी वै विचार तेसिग, बे एस रामस्वामी शस्प्री गौर महादेदी वर्मा के विचार-क्नाओं का तात्त्विक अन्त सम्बन्ध ओर्‌ विशी का 'परेगन/--- क्षेमेद्ध वी मान्यता--वाव्य और चित्रवला के तात्त्विक साम्य पर अरस्तू षे विचार--शास्भ्रीय परम्परा वे अनुसार वाब्य और चित्र--वाव्य का वर्ण- लेखन और चित्रवल[--दाव्य और चित्र की विपय-वस्तु में साम्य--चित्र- वला ने छह अगो मे तीन अग (भाव, लावण्य-योजना और सादृश्य) फाव्य में भी विद्यमान--अवनीन्द्रनाथ ठाकुर वे विचार--भा रतीय व ला-साहित्य में काव्य और चित्र-वला का समन्वय--डन्त्यु जी आच॑र वा मन्तव्य-- छेप्णकाव्य से चित्र-क्ला का विश्चेप सम्बन्ध--पराश्चात्य बला-साहित्य में काव्य भीरचितक्ला का समन्वय--वांद्लेयर ओर कृवे, रोटी ओर दान्ते, हटमन हट ओर्‌ मिनेस-- काय्य ओर चित्रकला के समम बौ दृध्टि से विलियम न्तेक--यीदूम, एन्थोनी व्लण्ट ओर रो एच लरिन्स के विचार- कला-समम स्वच्छन्दतावाद (रोमाण्टिसिज्म) की एक विशिष्ट प्रवृत्ति-- चिच्रक्ला भौर समीत कला मे तास्विक साम्य--लय ओर अनुपात- कलाओं वा सयोजन-सिद्धान्त और अनूपात- भारतीय क्ला-साहित्य म सगीत्तक्ला ओर चित्रकला की अन्त सम्बद्धता--रागमाला चित्रों की कल्पना--हीगेल, गिन्सन, काण्डिन्स्वी प्रभृति पाश्चात्य विचारको कै मन्तव्य--नाद और वर्णं वा समीक रण--घित्रकला और मूर्तिक्ला का तात्त्विक अन्त सम्बन्ध--चित्र- নলা और स्थापत्य कला वा अन्त सम्वन्ध--स्थापत्य कला सभी कुलाओ की जननी--आर एच विलन्‍्स्ती के विचार--घनवाद (क्यूविज़्म) चित्र- कला परं स्थापत्य के प्रभाव की स्दीटेति--काव्य भौर स्थापत्य क्लाका सम्यन्ध--पमीत कलां जौर स्थापत्य कला का समभ्वन्ध-- स्थापत्य कला फोजेने म्युजिक'-- सगीत कला पलोईग आक्टिक्वर'- सगीत और स्था- पत्ये मे सगति, सन्तुलन भौर सथोजन--च्टिक्टर त्सुके रकाण्डल का मन्तव्य -रीगेल की धारणा- काव्य ओर सगीत कला का तात्तिक अन्त सम्बन्ध --वेविताम लय--याधुनिक कविता मे समीतत का आभ्यन्तरीकरण-- कविता म सगीत श्ब्द-सगीत, भाव-सगीत और नर्थ-समीत-ववितामे छन्द ओौर लय की स्वीटृत्ति- काव्य ओौर सगीत की तात्विक निकटता का प्रमाण--लय सभो ललित कलाओं का अनिवायं तच्व--क्रम-सगत लय और कमहीन लय--कवियों और सगीतकारों में साम्य---आर एस,




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