चेतना की सिक्षा | Chetna Ki Shikha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
रामधारी सिंह 'दिनकर' ' (23 सितम्बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया ग
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्राकक्थन
राष्ट्रकाव स्वर्गीय रामधारी सिंह दिनकर की पृस्तकें एक बार पुन चुसज्जित
रूप में आपके हाथा' म॑ हैं। उनके देहावसान के बाद से य॑ पुस्तके अनियमित
रूप से प्रकाशित हो रही थीं जिसस दिनकर-साहित्य के पाठका उनके
साहित्य पर शांध करनेवात शोधार्थियों समालोचकां और अध्येयताओ को ये
पुस्तकं सरलता से उपलब्ध नही हा पा रही थीं। इन असुविघाओ के लिए में
उन सभी सहुदय विद्वान पाठकों सं व्यक्तितगत त्तर पर क्षमा चाहता ह}
हालाँकि इसक पीछे कुछ एंसे अपरिहार्य कारण थे निनपर मे बस
नहीं था।
पूज्य बाबा (दिनकर जी) ने अपनी तैतीस पुस्तवो का प्रक्राशनाधिवार
मुझे दिया है। इनमें से अभिरकाश पुस्तकः नेशनल पब्लिशिंग हाउस से
प्रकाशित हो रही हैं।
इन पुस्तकों का पुन प्रकाशन अदेय गंगा आबू प्रो गोवर्दन राय शर्मा
और डॉ लक्ष्मीमहत्य सिंघवी के सहयांग के बिना असंभव था) इनके प्रति
अपनी कृतज्ञता शापित करू एसी धृष्टवा मैं नही कर सकता। तीना ही बाबा
के घनिष्ठतम मित्र हैं और भ८ दिए उसी रूप में आदरणीय भी। इन लागा का
मार्गदर्शन दौर आज्ञी्वाद मु्न मिलता रहे यही कामना है। प्रकाशक প্রা ভুলে
मलिक ने इन पुस्तक का प्रवाशित करन मेँ जा तत्परता और निष्ठा दिखायी
है इसक लिए मैं उनका आमारी हू।
দুল प “-ऊर्साधन्द कुमार सिह
आर्य कुमार रोड
पटना “^ 9५५५
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