सम्मेलन - पत्रिका | Sammelan - Patrika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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{ १४) तहीं हैं कि अब उसकी कोई भी पंक्ति छपता शेष नहीं है। यत्न-सतत अब भी कुछ सामग्री अवश्य बिश्वरी हुई है। यदि सम्भव हुआ तो भविष्य में हत दिशा में और अधिक प्रयत्न किया जायेगा । सम्मेलन-पत्षिका का यह विशेषांक तीन ण्डो में विभक्त है। प्रथम छाण्ड में काथ्य श्रद्धाअलि है, द्वितीय खण्ड में विद्वज्जनों द्वारा 'सनेहीं जी के काध्य-साहित्य पर समीक्षात्मक विधार एवं उनके अ्यक्तित्व का मूल्यांकन है और तृतीय खण्ड में उनका काव्य साहित्य है| हमारा विश्वास है कि साहित्य-प्रेमियों एवं सुधी जनों द्वारा पत्रिका के इस अंका स्वागत होगा । -प्रमनारायण शुक्ल साहित्य मंत्री




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