खरतर - गच्छ दीक्षा नन्दी सूची भाग - 1 | Kharatar - Gachchh Diksha Nandi Suchi Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९ अव दिगम्बर सम्प्रदाय एव खरतरगच्छ के अतिरिक्त इ्वेताम्बरीय गच्छो मे भी जितने मुनि-नामान्त पदो का उल्लेख देखने मे माया है उनका विवरण भी यहा प्रस्तुत किया जा रहा है । दिगम्बर--तत्दि, चन्द्र, कोति, भूषण--ये प्राय नन्दि सध के मुनियो के नामान्त पद है। सेन, भद्र, राज, वीर्य--ये प्राय. सेन सघ के मुनि-नामान्त पद हैं। ('विद्वद्‌ रत्नमाला' पृष्ठ १८) उपकेश गच्छ की २२ शाखाएँ १ सुन्दर २. प्रभ ३ कनक ४ मेरु ५ सार ६ चन्द्र ७ सागर ८ हस ९ तिलक १० कलश ৭৭ रत्न १२ समुद्र १३ कल्लोल १४. रग १५ शेखर १६ विनालं १७ राज १८ कुमार १९ देव २० आनन्द २१ आदित्य २२ कभ ('उपकेशगच्छ पट्टावली', जन साहित्य सभोघक ) उपथुं क्त नन्दी सुचियो से स्पष्ट है किं कही-कटी दिगम्बर विद्वापत्‌ यह समभने की भूल कर बैठते है कि भूषण, सेन, कीति आदि नामान्त पद दिगम्बर मृनियो केही है वह ठीक नही है । इन सभी नामान्त पदो का व्यवहार दवेताम्बर सम्प्रदाय मे भी होता रहा है। नाम परिवतेतन मे प्रायः यथाहवय यह ध्यान भी रखा जाता है कि मुनि की राणि उसके पूर्व नाम की रहे। बहुत स्थानो मे प्रथमाक्षर भी वही रक्ला जाता है। जंसे सुखलाल का दीक्षित नाम सुखलाभ, राजमल का राजसुन्दर, रत्नसुन्दर आदि । तपागच्छ श्री लक्ष्मीसागरसूरि (स १५०८-१७) के मुनियो कै नामान्तं पदं सोमचारित्र कृत 'ग्रुरुगुगरत्नाकर' काव्य के द्वितीय सगं मे इस प्रकार लिखे हैं--




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