संसार के स्त्री - रत्न | Sansar Ke Stree-ratn

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sansar Ke Stree-ratn by साधुराम एम. ए - Sadhuram M. A

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about साधुराम एम. ए - Sadhuram M. A

Add Infomation About. Sadhuram M. A

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
००० व আরে এনএ ওলা পাপ পাক ও লাশ জপ গণ পল লা রা जोन अप के १६ ६0421 प040:5:घ6०:८.4:108106:0फव:::: 070: व:द:70157: पद: 22229, 10,457. 27:0॥5:%0 #2:प्रफफ्राफ ८ एक ०१८.४:७६०६४०४६॥८:0510/0०20 वीक বা লাকা? লা পাপন ८०५ সরা পপ পরান ই যাগ পা? প্রসার परंतु ऐसा होना न बदा था । वह निरंतर राजा की सहायता करती रही, उसके उड्‌ सैनिकों का सुधार करती रदी ओर स्वयं निष्काम भाव से तपस्या का जीवन व्यतीत करती रही । उसने कई बार राजा से विदा माँगी, यहाँ तक कि एक बार अपना ` चमकीला कवच उतार कर गिरजाघर में लटका दिया और निश्चय किया कि उसे फिर न पहनूँगी | पर भावी को कोन टाल सका है ! . राजा के अनुनय-विनय से विवश होकर वह उसे छोड़ न सकी । जब ब्रेडफ़ोर्ड के ड्यूक ने बगेडी के उ्यूक से संधि करक इंग्लैंड के पक्ष में लड़ना आरंभ कर दिया ओर चाल्से सप्तम का नाक में दम कर दिया, तो चाल्से कभी कभी जोन से पूछ बैठता--“अब दैदी बाणी तुम्हें इस विषय में क्या कहती है ९! परंतु जोन कभी कुछ और कभी कुछ सुनती थी । परस्परबिरोधी श्चौर संकीणे प्रलाप सुनने कै कारण जोन पर से राजा का विश्वास उठता गया। इख समय के पश्चात्‌ चाल्से ने पेरिस की ओर प्रयाण किया चौर सेट श्रोनोर ( 5६. 01015 ) के आसपास के स्थानों पर आक्रमण कर दिया । इस युद्ध सें आहत होकर देवी एक बार फिर खाई में गिर पड़ी । परंतु इस संकट मे सारी कौ सारी सेना ने ही उसका परित्याग कर दिया । वेचारी लोथं के ठेर मे निःखदाय पड़ी थी । ज्ैसे-कैसे निकलकर उसने अपनी जान वचाई । पर श्र॑त में बगैडी कै ङयक ने जब केम्पेन ( (2701९76 ) को घेर रखा था, वह बीरता से सब से आगे लड़ती हुई पकड़ी गई । सारी सेना भाग गई ओर उस अकेली को पीछे छोड़ गई । का




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now