संसार के स्त्री रत्न | Sansaar Ke Stri Ratn

Sansaar Ke Stri Ratn by साधुराम एम. ए - Sadhuram M. A

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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লীন ছাদ হান্ট ९१ दुर्भाग्यवश जब जोन फे मन की अवस्था ऐसी हो रही थी डोफिन के शत्रओं का एक दूल उस प्रास मे आ निकला, जिसने गिरजे को आग लगाकर ग्रामवासियों को मास से बाहर निकाल दिया । उन लोगों के याचाय को देखकर जोन के हृदय पर गहरा आघात पहुँचा और उसका रोग ओर सी अधिक बढ़ गया ! वह्‌ फहती--/अब तो वे रूप ओर शब्द सदा मेरे साथ दी रहते हैं ओर कहते है किं प्राचीन आआकाश-बाणी के अनुसार भें ही प्लस की रता करूँगी । झुझे; अवश्य डोफ़िन की सहायता के लिए जाना चाहिए श्मोर जव तक रीस्स नगर में उसका राज्याभिपेक न हो ले, तव तक सुभः उसके साथ ही रहना चादिए । इस फायं फे लिए सुभे एक दूर स्थान पर लोड वद्रीकोर के पास जना होगा, जो डोकिन से मेरा परिचय करा देगा ।) उसका पिता बहत समभाता रदा--'जोन वेदी, ये तेरे स्वप्र सय श्रममूलक ही हैं! पर वह न टली ओर अपने चचा के साथ लॉड बद्रीकोर की खोज सें चल पड़ी । उसका चचा बहुत निधेत था। वह मास में बढ़ई का फाम किया करता था । पर उसे जोन फे स्वप्नों में पूरी भ्रद्धा धी। वे दोनों विषम मागे की कठिनाइयाँ मेलते हुए चोर, डाकू आर उपद्रवियों से बचते घचाते अंत में लॉडे घद्रीकोर फे भाम में जा पहुँचे । जय लोड वद्रीकोर के शत्यो ने पपे स्वामी को बताया कि उसे मिलने के लिए जोन आऑँफ आफे नाम की एकं फुपङ्‌ कन्या अपने भामीण चचा को खाय लेकर जाई १ जोर ददी है--मुमे




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