संसार के स्त्री - रत्न | Sansar Ke Estari Ratn

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Sansar Ke Estari Ratn  by साधुराम एम. ए - Sadhuram M. A

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लोन ऑफ़ श्रा १५ वके थे, उसे इस प्रकार फिर-से लड़ती हई देखकर भयभीत हो गये। कई कहने लगे--फ्रॉसीसियों की सहायता सें सेंट माइकल को श्वेत घोड़े पर चढ़कर लड़ते हुए हमने स्वयं देखा है |? अंग्रेज़ परिणामत परास्त हुए, पुल छिन गया, अट्टालिकाएईँ भी छिन गई और दूसरे दिन बह अपने मोचा को आग लगाकर भाग गये | परन्तु अंग्रेज़ सेनापति बहुत दूर न भागा ओर पास ही जागो नाम के एक गाँव में जा छिपा। ओलियन की देवी” ने उसे वहाँ जाकर घेर लिया ओर वन्दी वना लिया । जोन जब अपनी श्वेत पताका के साथ प्राकार फाँद रही थी, तव एक पत्थर उसके सिर में लगा ओर वह फिर खाई में गिर पड़ी । पर वह खाई में गिरी हुई भी यही चिल्लाती रही--वढ़ते चलो, भेरे देश-बासियों ! आगे बढ़ते चलो 1) इस विजय के पश्चात्‌ अंग्रेजों ने वहुत से दुगे बिना युद्ध किये ही डोफ़िन को लोटा दिये । पेटे ( 7०६४० ) के स्थान पर जोन ने वची-ख़ुची अंग्रेज़ी सेना को भी खदेड़ दिया ओर उस भूमि पर, जहाँ वारह सो अंग्रेज़ सेनिक खेत रहे थे, अपनी विजय-पताका . गाड़ दी । श्रव उसने डोफ़िन से ( जो रणभूमि से सदा दूर ही रहता था ) रीम्स नगर में जाने का अलन्लरोध किया । उसने कहा--मेरे उद्देश्य का एक अंश तो सफल हो गया है । आपके शत्रु परास्त हो चुके हैं। अब आपको केवल राज-तिलक देना शेष है ।? यद्यपि डोफ़िन रीम्स में जाने से डरता था, क्योंकि एक तो रीम्स बहुत दूर.




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