पथ के प्रदीप | Path Ke Pradeep
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ के. |]
ख ही तो दृष्टि देता है! तू
दुखों से क्यो डरता है । आज
जो तेरे पास विकसित दृष्टि
है, दुखो की देन है | दु खो से
प्यार केर ` जीवन तेरा आनन्द-
मय वन जायगा ! दु.खोसेहष्टि
प्राप्त करने का प्रयत्न कर!
| ६ ]
চদা की प्रवता का रुदन
करने के बजाय परमात्मा की
अनन्त शक्ति पर विश्वास करना
श्रेष्ठ है1 उससे मन निर्भय
बनता है।
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