पथ के प्रदीप | Path Ke Pradeep

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Path Ke Pradeep by भद्रगुप्त - Bhadra Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ के. |] ख ही तो दृष्टि देता है! तू दुखों से क्यो डरता है । आज जो तेरे पास विकसित दृष्टि है, दुखो की देन है | दु खो से प्यार केर ` जीवन तेरा आनन्द- मय वन जायगा ! दु.खोसेहष्टि प्राप्त करने का प्रयत्न कर! | ६ ] চদা की प्रवता का रुदन करने के बजाय परमात्मा की अनन्त शक्ति पर विश्वास करना श्रेष्ठ है1 उससे मन निर्भय बनता है।




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