आराधना कथा कोष | Aradhna Kathakosh
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
521
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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छ श्री वीतरागाय नमः फ
आराधना कथाकोजः '
[ हिन्दी ]
मंगल ओर प्रस्तावना
जो भव्य पुरुषरूपी कमलोंके प्रफुल्लित करनेके लिये सूर्य हैं और
लोक খা অলীক के प्रकाशक ह-जिनके द्वारा ससारको वस्तुमात्र का ज्ञान
होता है. उन जिन भगवरानूको नमस्कार कर मँ आराधना कथाकोश नामक ग्रन्थ
लिखता हू ।
उस सरस्वती - जिनवाणी-के लिये नमस्कार है, जो संसारके पदार्थोका
ज्ञान करानेके लिये नेत्र है ओर जिसके नाम ही से प्राणी ज्ञानरूपी समुद्रके पार
पहुँच सकता है, सर्वज्ञ हो सकता है ।
उन मुनिराजोके चरणकमलोको मैं नमस्कार करता हूँ, जो सम्यग्दर्शन,
सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चासिरूपी रतोसे पवित्र हैं, उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव,
सत्य, शौच, ब्रह्मचर्य आदि गुणोसे युक्त हैं और ज्ञानके समुद्र हैं ।
इस प्रकार देव, भारती और गुरु का स्मरण मेरे इस ग्रन्थरूपी
महलपर कलशकी शोभा बढ़ावे अर्थात् आरम्भसे अन्तपर्यन्त यह ग्रन्थ निर्विघ्न
पूर्ण हो जाय ।
्ीमूलसघ-भारतीयगच्छ-बलात्कारगण ओर कुन्दकुन्दाचार्यकी आम्नाये
श्रीप्रभाचच्ध नामके मुनि हए ह । वे बड़े तपस्वी थे । उनकी इन्द्र, धरणे,
चक्रवर्ती-आदि सभी. पूजा किया करते थे । उन्होने संसारके उपकारार्थं सरल
ओर सुबोध गच्च सस्कृतंभाषा मे एक आराधना कथाकोश बनाया है । उसीके
आधारपर मैं यह ग्रन्थ हिन्दी भाषा मे लिखता हूँ । क्योकि सूर्य के द्वारा
प्रकाशित मार्ग मे सभी _चलते हैं ।
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