आराधना कथा कोष | Aradhna Kathakosh

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Aradhna Kathakosh by उदयलाल काशलीवाल - Udaylal Kashliwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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। ~> _ छ श्री वीतरागाय नमः फ आराधना कथाकोजः ' [ हिन्दी ] मंगल ओर प्रस्तावना जो भव्य पुरुषरूपी कमलोंके प्रफुल्लित करनेके लिये सूर्य हैं और लोक খা অলীক के प्रकाशक ह-जिनके द्वारा ससारको वस्तुमात्र का ज्ञान होता है. उन जिन भगवरानूको नमस्कार कर मँ आराधना कथाकोश नामक ग्रन्थ लिखता हू । उस सरस्वती - जिनवाणी-के लिये नमस्कार है, जो संसारके पदार्थोका ज्ञान करानेके लिये नेत्र है ओर जिसके नाम ही से प्राणी ज्ञानरूपी समुद्रके पार पहुँच सकता है, सर्वज्ञ हो सकता है । उन मुनिराजोके चरणकमलोको मैं नमस्कार करता हूँ, जो सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चासिरूपी रतोसे पवित्र हैं, उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, ब्रह्मचर्य आदि गुणोसे युक्त हैं और ज्ञानके समुद्र हैं । इस प्रकार देव, भारती और गुरु का स्मरण मेरे इस ग्रन्थरूपी महलपर कलशकी शोभा बढ़ावे अर्थात्‌ आरम्भसे अन्तपर्यन्त यह ग्रन्थ निर्विघ्न पूर्ण हो जाय । ्ीमूलसघ-भारतीयगच्छ-बलात्कारगण ओर कुन्दकुन्दाचार्यकी आम्नाये श्रीप्रभाचच्ध नामके मुनि हए ह । वे बड़े तपस्वी थे । उनकी इन्द्र, धरणे, चक्रवर्ती-आदि सभी. पूजा किया करते थे । उन्होने संसारके उपकारार्थं सरल ओर सुबोध गच्च सस्कृतंभाषा मे एक आराधना कथाकोश बनाया है । उसीके आधारपर मैं यह ग्रन्थ हिन्दी भाषा मे लिखता हूँ । क्योकि सूर्य के द्वारा प्रकाशित मार्ग मे सभी _चलते हैं ।




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