अंधा युग | Andha Yug
श्रेणी : समकालीन / Contemporary, साहित्य / Literature

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.07 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about धर्मवीर भारती - Dharmvir Bharati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न इस रसणीय झुप् दो नहों दा रहाँ सस्कति थी यह एक दुढे भौर सो जिसको सनानो ने महायुद्ध घोषित क्ए जिसके घरघेयन में मर्यादा चतिठ भा वेश्या-सी दर प्रजाजनों को भी रोगी बनातो रिरो उस भन्पी सम्कृ्ति ँ उस रोगी मर्यादा की रक्ता हम करते रहे सब्ह दिन 1 झा प्रहरी १ जिसने भव हमको धरा डालता मेहनत हमारी निरपंरु थी मास्पा का साहस का श्रम का अस्तित्व का हमारे कुछ भर्थ नहीं था कुछ मी भर्य नही था प्रहरी २ भ्र्य नही था कुछ भी झप नही था जोवन के भषहीन सुने गलियारे में पहरा दे-देकर अब थके हुए है हम अब चके हुए है हम चुप होवर बे आर पार घूमते हैं। रातुसा र ज पर भी हो जाता है । नेपध्य से आँधी बी सो ध्यर्ति आती है। एव प्रतुरी शगा करे सुनता है दूसरा भौहो पर हाथ रख भर आनाश भी भोर देखा है।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...