उत्तम जीवन | Uttam Jivan

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Uttam Jivan by महात्मा गाँधी - Mahatma Gandhiलक्ष्मी नारायण राठी - Lakshmi Narayan Rathi

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मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

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लक्ष्मी नारायण राठी - Lakshmi Narayan Rathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उत्तम जीवन ७ आजकल हमारे समाज में ऐसी कोई वात नहीं रही जिससे दरे आत्म-संयम का पाठ मिले । हमारे लाज़न-पालन का ढंग भी उसके सवेथा प्रतिकूल दी दै । मॉ-चाप ने तो अपना प्राथमिक कर्तव्य यद्दी वना ग्ला हे कि अपनी सन्तान का विवाह किसी भी भ्रकार कर डालना) इसका नतीजा यह होता है कि वे शशकों की तरह वच्चे उत्पन्न करसे लगते हैं. । यदि उनके यहाँ कन्याएँ उत्पन्न हो जाय॑ तो अपनी सहूलिय्त की दृष्टि रखकर वे उनका विवाह जितना शीघ्र दो कर डालते ई | उनके नैतिक विकास की ओर ध्यान दी नद है। विवाददोत्सवों में भी क्या होता हे ? सहभोजों तथा अन्य अनावश्यक व्ययों की लंबी परम्परा | मनुष्य को अपना ग्रहस्थ जीवन भी वाल्य काल की तरद्‌ दी व्यतीत करना पडता द । छुट्टियों और सामाजिक उत्वर्वो का ठ्या भी इस प्रकर काद किं जिसमे मोगमय जीवन विताने का दी प्रायः श्रवसर मिलता है। पढ़ने की पुस्तक भी ऐसी हँ कि जिनमें काम वासना-को ही उत्ते- ज़ित्त करने की बातें हैं। आजकल का साहित्य भी काम वासना को प्रोत्साहन देने वाला है और उससे पृखे निवृत्ति को बुरा वतलाता ई । फिर कया आश्वये है कि कामवासना को जीतना यदि असम्भव- नहीं हे तो भी कठिन तो अवश्य ही वना हुआ हे। --हरिजन : मार्च २६,१६३६ ६०




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