श्री भगवतीजी सूत्र के थोकड़े का [भाग १] | Shri Bhagvatiji Sutra Ke Thokde Ka [Part 1]

Shri Bhagvatiji Sutra Ke Thokde Ka [Part 1] by भैरोदान सेठिया - Bhairodan Sethiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ सातवें ग्रेवेयक के देवता की स्थिति जधन्य २८ सागंर उत्कृष्ट २६ सागर নাহ ঠ भ # # २६ ५ + ३० ॐ नवत १ ९ # # 2० 9 + देषु » चार अचुत्तर पिमानें की स्थिति जघन्य २१ सागर की उत्कृष्ट ३४ सागर की | सर्वार्थसिद्ध विभान की स्थिति नोजघन्प नोउ- त्कूट ३३ सागर की है। २ अहों भगवान्‌ ! १३ दण्डक के देवता कितने काल से श्वासोच्छास लेते हैं ? हे गौतम ! असुरकुमार के देवता जधन्य ७ थो ( स्तोक )# सै, उत्कृष्ट १ पच् ऋामेरे से। नवनिकाय के देवता और वाणव्यन्तर देवता जघन्य ७ थोव से, उत्कृष्ट ग ्रत्येक यह से। ज्योतिषी देवता जघन्य उत्कृष्ट अत्येक महू से । पद्ले देवलोश के देवता जघन्य प्रत्येक सह से, उत्कृष्ट २ पच्त से । दूसरे देवलोक के देवता जघन्य प्रत्येक झहूत फाफेरे से, उत्कृष्ट २ पक ऋफेरे से। तीसरे देवलोक फे देवता जघन्प २ पक्त से, उत्कृ् ७ पच से 1 चौे देवलोक फे देवता जघन्य २ पक्त भामेरे से, उत्कृष्ट ७ पत्त भामेरे से | पांचवें देवलोक के देवता जघन्य ७ पक्तसे, उत्कृष्ट * थोव (स्तोक )>हृष्ट पुष्ट नीरोग मनुष्य जो एक उच्छास ओर निःश्वास लेता दे उसे प्राण कद्दते हैं ॥७ प्राण का एक स्तोक दका दै ।७म्तोक का पक लव होता द! ७० लव का पक सुहूते होता है। ३० मुहूर्त का पक অহী হাল होता है 1 १५ धरहोरात्र का पक प्त होता ই। $ २ से लेकर ९ तक को संख्या को प्रत्येक ( प्रयक्त्व ) कद्दते हैं ।




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