मुगुल कालीन भारत हुमायूँ भाग 2 | Mugul Kalin Bharat Humayu Bhag 2
श्रेणी : इतिहास / History, समकालीन / Contemporary
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.87 MB
कुल पष्ठ :
629
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सैयद अतहर अब्बास रिज़वी - Saiyad Athar Abbas Rizvi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न न शुध बा के आग्रह पर उन्हाने उन बहानियों वो पुस्तव के रुप में स़वलित दिया और उसवा नाम बाके- अति मुशताको रखा। इसमे सुल्तान वहलोल के राज्यकाल से लेवर सुल्तान जलालुद्दीन मुहम्मद अववर बादशाह के राज्यकाल तव वी विभिप्न घटनाआ और लोदी वदा के सुल्ताना वावर हुमायूँ अकबर तथा सुर वश के सुल्ताना मे सम्बन्धित विभिन कहानिया का उल्टेस है। इसके अतिरिक्त सालवा वे गयासुद्दीन खलजी तथा नामिष्द्वीन पलजी एवं गुजरात के मुज़पफर दाह से सम्बन्धित वहानिया वी भी चर्चा की गई हैं। रिज्युल्टाह मुश्तावी ने किसी स्थान पर भी इस बात का दावा नहीं किया हैं कि उन्हाने किसी इतिहास की रचना की है। वेवल उन्हे ने कहानियों का सकलन बिया है । लादी सुल्ताना से सम्बन्वित बहलोल सिवन्दर तथा इवराहीम के विपम में उन्हाने जिन कहानिया वा उल्लेख विया है बे छोदी वश मे सुल्ताना के इतिहास वी जानदारी का मुल्य साधन है। यद्यपि उन्हाने अपनी इस पुस्तक वी रचना अवबर के राज्यकाठ में की किन्तु उनके पिता का तथा स्वयं उनका अपगान अमीरा से विशेष सम्पर्क था। वे उनके आश्रित रह चुके थे अत उन्होंने जिन कहानिया का विव- रण दिया हैं वे बड़ी ही महत्वपूर्ण है। कहानिया के प्रसग में उन्हाने तत्वार्ीन सामाजिक एवं सास्वतिक जीवन वी भी झाँवी प्रस्तुत की है। सुल्ताना से सम्बन्धित कहानिया के साथ साथ रिफ्कूहलाह में अमीरा के विपय में भी वहुत सी कहानियों वा उल्लेख किया है और इस प्रकार बहुत से अमीरों के व्यक्तित्व को बड़े स्पप्ट रूप में प्रस्तुत कर दिया है। यद्यपि उनकी कहानिया में बहुत सी अद्भुत तथा अलौविक कह।नियाँ भी है जिन्हे पढ़े बिना यह विश्वास हो ही नहीं सकता कि विस प्रवार उस युग वे लोग ऐसी बाता पर श्रद्धा रखते थे तथापि इ ही कहानिया में कही कहीं दासन प्रबन्ध सम्बन्धी भी काम की बातें मिल जाती हैं। हुमायूं का उस्देख उन्होंने अपने इतिहास में वड़े ही सक्षिप्त रुप में क्या है। शेर शाह के चरियर का विवरण देते हुए बे मुगुला से ही प्रभावित ज्ञात होते है। शेख रिज्युल्लाह मुश्तावी वी मृत्यु २० रवी-उल-अब्वल ९८९ हि० २४ आपल १५८१ ई० को हुई 1४ बाकेआते मुद्रताकी की दिसी भी प्रतिलिपि वा भारतवर्ष में कौई पता नहीं चल सका । इसवी केवल दो प्रतियाँ ब्रिटिश म्युज़ियम में प्राप्य है। ब्रिटिग म्यूजियम के रियू के कटालाग के दूसरे भाग के पृष्ठ ८०२ बे पर जो हस्तलिखित पग्रथ है उसके रोटोग्राफ के आधार पर अनुवाद किया गया हूँ. किन्तु न्विटिग म्युजियम में एक अन्य प्रतिलिपि भी व।क्रेआते मुदताइ्यो की है जिसके कुछ अदा उपर्युक्त प्रतिडिपि से मित्र हैं और वही कही वे उपर्युक्त प्रतिलिपि से अधिव स्पष्ट भी है । अत अनुवाद में उससे भी सहायता ली गई हू। गे पु इस नाग का अनुवाद उत्तर तैमूर कालोन सारत सांग में कर दिया गया है 1 इस भाग का अनुवाद मुगुल कालीन भार त--बाबर में कर दिया गया है । इस भाग का अनुवाद उत्तर तैमूर कालीन भारत भाग २ में कर दिया गया दैं । भरबारल अखियार ए० १७४ । न के तर तन
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