भ्रमित - पथिक | Bhramit - Pathik
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
284
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५ १९५ )
यापने अपना अपमान कैसे सहा १... - क्या गोरव
की भावना आप में नहीं है ?' इत्यादि |
नवागन्तुक यात्री पथिक की इक्त बात पर बड़ी
नम्रता से उत्तर देता है--ह पथिक ! गरएपन की
मिथ्यालालसा का परित्याग कीजिये। हलकी रुद पर
खङ्ग का आधात भी कुछ नहीं कर सकता 1!
सहसा उसी আঁই জ্দীহ से आने वाला आत्तनाद
पथिक को आक्ृष्ट कर लेता है। और उधर जाते ही
उसको साक्षात् देहधारी अनङ्ग भगवान् का दशंन
होता है। इस शाश्वतयौब्ननधारी पुष्पधन्वा के वाणों
से विद्ध सहस्रो पुरुष दिखाई पडते है। प्रत्येक स्थान
तथा देश के प्रतिनिधि वहाँ पर उपस्थित है, “ढीले
সাজা बालिः अफगान, चपटी नाकवालेः चीनी,
पश्चिमी जामा पहने जापानो, ध्योरप के निवासी? तथा
अनडः भगवान् के चरण ग्रहण किये हुए फ्रांसवासी और
'पातालपुरी ( अमेरिका )” के लोग सभी अपने वक्त.स्थल
पर वाणों की वर्षा को सहषे स्वीकार करते हुए करुण-
क्रन्दन की हंसी हँस रहे है।इस जगह पर पाठकों को
स्टेथेस्कोपधारी डाक्टर, चन्द्रोदय की डिबिया लिये
वैद्य, यहां तक कि वकील, परिडत, वक्ता, योगी, वैरागी,
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