भाषा साहित्य और संस्कृति | Bhasha Sahithya Aur Sanskriti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
255
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राष्ट्र भाषा हिंदी और हिन्दू राष्ट्रवाद १३
दारी प्रथा का प्रेम छिपा हुआ है जो ज्ञेखके से इस तदह की दलीले पेश
कराता है--प० नेहरू को हिन्दुस्तान के नाम से चिढ है क्योकि उसमे
हिन्दू नाम जुडा हुआ है | इसलिए वह चाहते हैं कि देश को তিতা
ही कहा जाय और इस मामले में गांधीजी भी उनकी पीठ थपथपा रहे
है । (परिशिष्ट, ए० ६८) । १० नेहरू के माष्रणो को जनता मी सुनती
है और वह अच्छी तरह जानतीदहैकिवे इडिया शब्द का प्रयोग करते
हैं या हिन्दुस्तान का | लेकिन फासिज्य का आधार भूठ होता है और
हिन्दू राष्ट्रवाद एक फासिस्ट विचारधारा है।
हिन्दू और मुस्लिम प्रतिक्रियावादी एक दुसरे के कितने निकट है,
इसकी एक मिसाल देखिये | दोनो ही नेहरू-सरकार की एक हिन्दू सप्रदाय-
बादी सरकार के रूप में कल्पना करते है| फक इतना ही हे कि मुस्लिम
प्रतिक्रियावादी उसे हिन्दू सरकार पहले से ही मानते हैं और उनके हिन्दू
माई उसे एेसी बनाना चाहते ई । शुक्लजी कहते हैं कि हमारा ससार
नेहरू सरकार को हिन्दू सरकार बताता ओर समझता है---जब कि वास्तव
मे अर्थात् असल में वह हिन्दू सरकार नही है। ऐसी भ्राति का कारण
नहीं रहने या भविष्य में उत्पन्न होने दिया जा सकता | ( उप० ) सारे
ससार में चर्चिल और उनके पिट्ठ ही ऐसा प्रचार करते हैं ओर बो० बी०
सी० दुनियाँ भर में विज्ञापित करती है कि १० नेहरू को हिन्दू सरकार
मुसलमानों का नाश कर देना चाहती है। लेकिन ससार में सब चचिल,
फीरोजखों नून या उनके हिन्दू नक्ताल ( रविशङ्कर शुक्ल जैसे ) ही नदी
ह । दुनिर्यो का हर जनतत्रवादी न तो नेहरू सरकार को एक हिन्दू
सम्प्रदायवादी सरकार मानता है और न उसे होने देना चाहता है।
हिन्दू राष्ट्रवाद की खुली घोषणा इस प्रकार है |
“हिन्दुस्तान एक हिन्दू राष्ट्र हो जिसका राजत्रम हिन्दुधरम हो और
जिसमे सब प्रमुख पद पर हिल््दुओं और अमुस्लिमो की नियुक्ति हौ |
ऐसा कोई व्यक्ति जो स्पष्ट रूप से हिन्दू धम न मानता हो, हिन्दुस्तान-
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