गुप्त - साम्राज्य | Gupta Samarajya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न रन ग्रन्थ के अन्त में उन सभी प्रकाशित लेखों की - चूची देना चाहता था जो गुप- कालीन इतिहास के विविध पहलुओं से सम्बन्ध रखते हैं और शोध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं । किन्तु अन्थ अपने मूल रूप में इतना बड़ा हो गया है कि अनेक कारणों से उसे अधिक बड़ा नहीं बनाया जा सकता था । अतः उस सूची के देने का लोभ संबरण करना पड़ा । यदि वह सूची दी जा सकती तो उसका महत्व होता | उसके न देने से पाठकों की कोई हानि नहीं है । इन सभी लेखों का उल्लेख किसी न किसी रूप में पाद-टिप्पणियों में उपलब्ध है वह पाटकों के लिए पर्याप्त है । न्त में पाटकों से अनुरोध है कि यदि कहीं उन्हें कोई बात खटकफे अथवा उन्हे कथनीय जान पढ़े वे मुझे अवदय बताने की कृपा करें । ससे मेरे ज्ञान में व्रद्धि हगी और में उनपर विचार कर आगामी संस्करणों में उनका उपयोग कर दूसरों को लाभा- न्वित करने की चेष् करूँगा । जिन मित्रों ने अपने परामर्श और सुझावों धारा इस ग्रन्थ के तैयार करने में मरी सहायता की है उन सबका मैं आभार मानता हूँ । वैदमजी ने ग्रन्थ का आमुख लिरने की जो उदारता दिखाई है बह उनके स्नेह का परिचायक है धन्यवाद की आओपना रिकता द्वारा उसके महत्व को कम करना न चाहूँगा । अनुक्रमणिका तैयार करने मे मेरे दौदित्र सुल और राहुल का योग रहा है | अन्त में जो चित्र-फलक दिये गये हैं उन्हें प्राप्त करने में भारतीय पुरातरव घिभाग पटना और भोपाल अनुमण्डल कार्यालयों अमेरिकन अकादमी आव बनारस लखनऊ संग्रहालय मथुरा संग्रहालय विक्टोरिया एण्ड एलबर्ट म्यूजियम लंदन और सर्वश्री कृष्णद्त वाजपेयी गोपीकृष्ण कानोडिया फ्रेडरिक ऐदार और प्रथ्वीकुमार छग्रवाल ने सहायता की है उनका में ऋणी हूँ । ये चित्र विभिन्न संग्रहों और संग्रद्दालयां से सम्घन्ध रखते हैं अतः उन सभी संग्राइको संग्रहालयों आर संस्थाओंका भी आभार मानता हूँ उन्होंने कृपा पूर्वक इनको प्रकाशित करनेकी अनुमति प्रदान की है | परमेदचरीलाल गुप्त पटना संग्रद्ालय पटना




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