मर्जी खुदा की | Marzi Khuda Ki

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विमल मित्र - Vimal Mitra

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शम्भुनाथ पांडेय - shambhunath Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यह कैसा परिहास / 15 शास्त्री जी एक बार जन्म-पत्मी देखते और फिर मुंह उठाकर सवात करते। उन्होंने कहा---“लेकिन इस लडके को वजह से तुम्हे बहुत अश्ान्ति हो रही हैत” उस महिला ने कहा---“अशान्ति हो रही है। अशान्ति नही होती, तो क्या मैं यू ही आपके पास दौड़ी आती ? इसके जन्म के बाद से ही मैं घोर अशान्ति मे हूं । सो अपनी अशान्ति को मुझे फिक्र नही । मेरी किस्मत मे सुख नही, न सदी । यह्‌ तद्का किस तरह सुखी हो और किस तरह आदमी बने, यही आप वतला दीजिये । यदि किसी यज्ञ, होम या प्रूजा-पाठ की जरूरत हो तो वह भी बता दीजिए | इसके लिए जितने भी रुपये खर्च हो, सो मैं देने के लिए तैयार हु। कहिए, कितने रुपये लगेंगे ? मैं आपको इसी वक्‍त दे देती हु ।” गौरीनाथ शास्त्रीजी ने कह्य---“किस्मत के लेख को कौन मिटा सकता है बेटी ! मौर फिर यज्ञ, भौर पूजा-पाठ में मेरा विश्वास नहीं ॥ फिर भी भगवान के पास दिन-रात प्रार्थना करो । उससे अगर कोई राह निकल आये तो देखो'**1” उस महिला ने कहा--“भगवान से प्रार्थना तो रोज ही करती हू । लेकिन मुझ जैसी अभागी की वात भला भगवान सुर्नेंगे भी क्यो २” शास्त्री जी ने उमर दिलासा देते हुए कहा+-“सुनेंगे क्‍यों नहीं? भगवान तो मर्वश्ञ है। उतके लिए न कोई छोटा है, न कोई वडा, न कोई अमीर है, न कोई गरीब । उन्हें मनप्राणों से पुकारने पर वे जरूर सुनेंगे बेटी । “तेकिन मैं तो पापन हैं 17 शास्त्री जी ने कहा--”मनुध्य-भात्र ही पापी होता है। अगर हम पापी नहीं हीते, तो सभी देवता बन जाते । इसीलिए तो भगवान का सौर एक नामं पतित- पावन भी है। उन्हें तुम पुकारों | तुम पर उनकी दया भी हो सकती है।” उस महिला ने कहा--“दया अगर होती तो मुझे भी तो इसका कुछ पता चलता । मैं तो दिन-रात भगवान को पुकारती हू कितने ही देवी-देवताओं की पूजा करती हू । सभी देवी-देवताओं से प्रार्थना करती हू कि वे मेरे लड़के को आदमी बना दे। लेकिन जैसे-जैसे उसकी उम्र बढती जा रही है, वैसे-वैंस वह और भी आवारा होता जा रहा है। नही तो वया भला इस उम्र में कोई शराव पीता है ?” “शराब पीता है? क्या सचमुच ? मैं तो कह ही चुका हू कि राहु नीचस्थ है, सो भी चदुर्य लग्त मे! बह चतुर्थ स्थान है मातृ-स्थान। साथ ही राहु चन्द्रमा की ओर सोधा दृष्टिपात कर रहा है। भौर किर आय-पति वृहस्पति नीचस्थ है, यहू बात भी मैंने जन्म-पत्री में लिख दी है। लो, देखो नाव! उम महिला की आंखों से टप-टप आसू टपकने लगे। पक उसने कहा--उसके प्रतिकार के लिए ही तो आपके पास आई हूँ पडित जौ । आपप मुझे बता दीजिए कि क्‍या करना होगा ? अयर तारकेश्वर के मन्दिर में जाकर धरना देने के लिए कहे तो उसके लिए भी तैयार हू 1 उस लड़के के बारे में सोच-




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