पांचप्रतिकमणसूत्र | Panchpratikramansutra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : पांचप्रतिकमणसूत्र   - Panchpratikramansutra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भीमसिंह माणक - Bheemsingh Manak

Add Infomation AboutBheemsingh Manak

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(६३) खोज ? स्थामी शाता ठेजी ? इति ॥ ७ ॥ ए म रुने की नमस्कार करे, तेवर यरु कदे देवंगुरु प्रसाद ॥ ॥ पठि नीवि बेठ के जिमणा हाथ नीचा कर के अप्लुष्ठिउमि कढ़े पीढें खमासमण दे के इचा कारेण संदिस्सद जगवनू सामायिक तेवा खु ढपत्ती पडिलेढु ! रु कटे, पटिलेद्‌. पीये शं कट्‌ दूज खमासमण दे मुद्पत्ती पडिलतेदे ॥ ॥ अय म॒द्पत्ती पडितेदणएके पीरा बोल लिखत्ते , 1 सूज, अथ साचो सर्ददुं ॥ २ ॥ सम्यक्ल मोदन १ २१ मिथ्या मोद्नी ॥ ३ ॥ मिश्र मोदन ॥४॥ परिह॒रु. यह चार बोल सुदपत्ती खोलती विरीयां कद्णां ॥ ॥ कामराग ॥२॥ स्नेद्राग †१॥ हृष्टिराग ॥२॥ परिदरं ॥ यद्‌ सात बोल प्रथम कदीजें ॥ ¦ ॥ सुरु ॥ ২ सुदेव ॥ २ ॥ सुधर्म ॥३॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now