पांचप्रतिकमणसूत्र | Panchpratikramansutra

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Panchpratikramansutra by भीमसिंह माणक - Bheemsingh Manak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(६३) खोज ? स्थामी शाता ठेजी ? इति ॥ ७ ॥ ए म रुने की नमस्कार करे, तेवर यरु कदे देवंगुरु प्रसाद ॥ ॥ पठि नीवि बेठ के जिमणा हाथ नीचा कर के अप्लुष्ठिउमि कढ़े पीढें खमासमण दे के इचा कारेण संदिस्सद जगवनू सामायिक तेवा खु ढपत्ती पडिलेढु ! रु कटे, पटिलेद्‌. पीये शं कट्‌ दूज खमासमण दे मुद्पत्ती पडिलतेदे ॥ ॥ अय म॒द्पत्ती पडितेदणएके पीरा बोल लिखत्ते , 1 सूज, अथ साचो सर्ददुं ॥ २ ॥ सम्यक्ल मोदन १ २१ मिथ्या मोद्नी ॥ ३ ॥ मिश्र मोदन ॥४॥ परिह॒रु. यह चार बोल सुदपत्ती खोलती विरीयां कद्णां ॥ ॥ कामराग ॥२॥ स्नेद्राग †१॥ हृष्टिराग ॥२॥ परिदरं ॥ यद्‌ सात बोल प्रथम कदीजें ॥ ¦ ॥ सुरु ॥ ২ सुदेव ॥ २ ॥ सुधर्म ॥३॥




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