आधुनिकता एक पहचान | Adhunikata Ek Pahachan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
173
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. चन्द्रभान रावत - Dr. Chandrabhan Rawat
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रदं प्रौर श्रवघारणा £ 25
आवना वासे यमो श्नौर অত सिदे वगो कोसेनासे प्रलग रा गया! ऊंचे पदों
चर हिन्दुस्तानी प्रा नहीं सकते ये । पठान भ्रौर सैनिकों की संख्या 1856 में दस
फीसदी से भी कम थी। उनकी संश्या 1858 में 47 फीसदी हो गयी । यह इस बात
का पुरस्कार था कि 1857 में इन्होंने भ्रग्रेजों का साथ दिया था। स्वाधीवता
संग्राम से पहले विहार और उत्तर प्रदेश की संख्या 90 फोस ही थी । वयोकि इन्होंने
1857 में अ्र्रेजी हुकूमत को जड से उखाड़ फंक्ने की कोशिश की, इसीलिए शांति
के बाद इनकी संख्या 47 फीसदी रह गयी । इस प्रकार सेना नीति भी एकता को
समाप्त करने वाली थी ।
देश की सामान्य जनता झौर राजै-रजवाड़ों के वीच भी खाई बनापी गयी ।
कभी लाडे डल्हौजी ने सामन््तशाही शासकों को निकम्मा बतला कर उनको सम्पप्त
करने की नीति श्रपनायी थी । भ्रद नीति यह हो गयी कि जो भी रियासर्ते बच रही
है उन्हे ज्यों का त्यो रखा जाये ॥ इन रियासतों के शासकीं और वहां की जनता को
कूप मंदूप बनाया गया । क्रान्ति की चेतना तो यहाँ पनपी ही नही, उल्टे इनका वगं
ब्रिटेन का रक्षक बन गया। ये सब ब्रिटेन के तानाशाहो के खिलाफ सिर भुकाये
रहते थे । निजाम हैदराबाद जैसे बड़ी रियासत को लां रेडिग ने यहु याद दिलादी
कि ब्रिटिश सत्ता सा्वेभौम है| मिठो-मार्ले सुधारों के तहत जो काउस्सलें बनी
उनमें बड़े बड़े जमीदारों भौर व्यापारियों को मत चाहे सीटें दी गयी । इस प्रकार
प्रग्नेज ने राष्ट्रीयता के प्रमुख भ्राधार एकता की भावना को ध्वस्त करने की पूरी
कोशिश की ।
राष्ट्रीयदा का एक प्रमुख श्राधार ऐक्य की भावना है | हिन्दुस्तान को
प्रकृति ने एक बनाया है। भौगोलिक दृष्टि से मारत एक है। प्राकृतिक বালি
जो भारत को प्राप्त है, वह इस प्रकार बिखरी-वितरित है कि देश के एक भाग
को दूसरे पर निर्मेर रहना पड़ता है : यह सहयोगी स्थिति एकता की भूमिका में है ।
पिछले तीन-चार हजार वर्ष के इतिहास ने भी भारत की जनता को एकता दी टै ॥
धार्मिक, सामाजिक प्रौर साहित्यिक संस्थाएं श्रीर गतिविधियां श्रलग-पलग तो रही
हैं, फिर भी उनके बीच सामंजस्थ को मूमियां भौर भ्रादान-प्रदान की त्रियाएं बनती
चलती रही । तात्पयं यह है कि झग्मेज़ों के प्राने-जमने से पहले हिन्दुस्तान की
एकता किसी न किसी रूप में कायम रही।..._
को না নং भ उबाल है, झरग्रैजी हुकुमत से पहले भारत
नहीं विज्ञान प्रौर शिक्षा के क्षे र মী মা না
দে माय शव ठ मी वह गण या = से पीछे नहीं था । ईसा से
थी | उसके भाधार पर ০ प हती चलो था रही
एकता प्रौर महत्ता की शक्तियां मजबूत होती रहती थीं ।
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