आधुनिकता एक पहचान | Adhunikata Ek Pahachan

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Book Image : आधुनिकता एक पहचान  - Adhunikata Ek Pahachan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रदं प्रौर श्रवघारणा £ 25 आवना वासे यमो श्नौर অত सिदे वगो कोसेनासे प्रलग रा गया! ऊंचे पदों चर हिन्दुस्तानी प्रा नहीं सकते ये । पठान भ्रौर सैनिकों की संख्या 1856 में दस फीसदी से भी कम थी। उनकी संश्या 1858 में 47 फीसदी हो गयी । यह इस बात का पुरस्कार था कि 1857 में इन्होंने भ्रग्रेजों का साथ दिया था। स्वाधीवता संग्राम से पहले विहार और उत्तर प्रदेश की संख्या 90 फोस ही थी । वयोकि इन्होंने 1857 में अ्र्रेजी हुकूमत को जड से उखाड़ फंक्ने की कोशिश की, इसीलिए शांति के बाद इनकी संख्या 47 फीसदी रह गयी । इस प्रकार सेना नीति भी एकता को समाप्त करने वाली थी । देश की सामान्य जनता झौर राजै-रजवाड़ों के वीच भी खाई बनापी गयी । कभी लाडे डल्हौजी ने सामन्‍्तशाही शासकों को निकम्मा बतला कर उनको सम्पप्त करने की नीति श्रपनायी थी । भ्रद नीति यह हो गयी कि जो भी रियासर्ते बच रही है उन्हे ज्यों का त्यो रखा जाये ॥ इन रियासतों के शासकीं और वहां की जनता को कूप मंदूप बनाया गया । क्रान्ति की चेतना तो यहाँ पनपी ही नही, उल्टे इनका वगं ब्रिटेन का रक्षक बन गया। ये सब ब्रिटेन के तानाशाहो के खिलाफ सिर भुकाये रहते थे । निजाम हैदराबाद जैसे बड़ी रियासत को लां रेडिग ने यहु याद दिलादी कि ब्रिटिश सत्ता सा्वेभौम है| मिठो-मार्ले सुधारों के तहत जो काउस्सलें बनी उनमें बड़े बड़े जमीदारों भौर व्यापारियों को मत चाहे सीटें दी गयी । इस प्रकार प्रग्नेज ने राष्ट्रीयता के प्रमुख भ्राधार एकता की भावना को ध्वस्त करने की पूरी कोशिश की । राष्ट्रीयदा का एक प्रमुख श्राधार ऐक्य की भावना है | हिन्दुस्तान को प्रकृति ने एक बनाया है। भौगोलिक दृष्टि से मारत एक है। प्राकृतिक বালি जो भारत को प्राप्त है, वह इस प्रकार बिखरी-वितरित है कि देश के एक भाग को दूसरे पर निर्मेर रहना पड़ता है : यह सहयोगी स्थिति एकता की भूमिका में है । पिछले तीन-चार हजार वर्ष के इतिहास ने भी भारत की जनता को एकता दी टै ॥ धार्मिक, सामाजिक प्रौर साहित्यिक संस्थाएं श्रीर गतिविधियां श्रलग-पलग तो रही हैं, फिर भी उनके बीच सामंजस्थ को मूमियां भौर भ्रादान-प्रदान की त्रियाएं बनती चलती रही । तात्पयं यह है कि झग्मेज़ों के प्राने-जमने से पहले हिन्दुस्तान की एकता किसी न किसी रूप में कायम रही।..._ को না নং भ उबाल है, झरग्रैजी हुकुमत से पहले भारत नहीं विज्ञान प्रौर शिक्षा के क्षे र মী মা না দে माय शव ठ मी वह गण या = से पीछे नहीं था । ईसा से थी | उसके भाधार पर ০ प हती चलो था रही एकता प्रौर महत्ता की शक्तियां मजबूत होती रहती थीं ।




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